लखनऊ: लोकसभा चुनावों में मिली करारी शिकस्त से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अभी उबरी भी नहीं थी, इसी बीच गुरुवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने पार्टी से नाता तोड़ लिया। सहारनपुर से सांसद रहे हाजी फजलुर्रहमान गुरुवार को समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हो गए।
उनके साथ में बड़ी संख्या में बसपा कार्यकर्ताओं ने भी सपा की सदस्यता ली। खुद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पार्टी मुख्यालय में सभी को सपा की सदस्यता दिलाई। हाजी फजलुर्रहमान का सपा में आना बसपा सुपीमों मायावती के लिए बड़ा झटका है। गुरुवार को बसपा ने पश्चिम यूपी में जनाधार वाला अपना बड़ा नेता गंवा दिया है। सपा विधायक आशु मलिक ने हाजी फजलुर्रहमान को सपा में लाने में अहम भूमिका निभाई है।
बताया जा रहा है कि हाजी फजलुर्रहमान बसपा सुप्रीमो के फैसले के खफा थे। वह वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतकर सांसद बने थे। पूरे पांच साल उन्होंने पार्टी के निर्देशों के मुताबिक कार्य किया। फिर भी बीते लोकसभा चुनाव में मायावती ने उन्हे चुनाव मैदान में नहीं उतारा। जबकि क्षेत्र के पार्टी नेता यह चाहते थे कि हाजी फजलुर्रहमान को चुनाव लड़ाया जाए, लेकिन मायावती नहीं मानी।
परिणाम स्वरूप जिस सीट से हाजी फजलुर्रहमान चुनाव जीत थे, उस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े इमरान मसूद चुनाव जीत गए। बसपा का उम्मीदवार बड़े अंतर से चुनाव हार गया। इसके बार भी मायावती ने हाजी फजलुर्रहमान को पार्टी में तवज्जो नहीं दी तो उन्होने अखिलेश यादव से हाथ मिलाना उचित समझा।
फजलुर्रहमान की पश्चिमी यूपी में तगड़ी राजनीतिक पकड़ है। ज्वाइनिंग के बाद फजलुर्रहमान ने कहा कि वह आम लोगों की तरह ही साधारण इंसान हैं और सपा की पॉलिसी तथा अखिलेश यादव के विजन को देखकर सपा में शामिल हुए हैं। सपा में यह चर्चा है कि अखिलेश यादव के नजदीकी माने जाने वाले पार्टी विधायक आशु मलिक ने हाजी फजलुर्रहमान को अखिलेश यादव से मिलवाकर उनके सपा में आने का रास्ता बनाया है।
मायावती के लिए बड़ा झटका
फिलहाल हाजी फजलुर्रहमान का बसपा से नाता तोड़ना बसपा के लिए बड़ा झटका है। जिस वक्त मायावती यूपी में 10 सीटों पर होने वाले उपचुनावों को लेकर जिताऊ प्रत्याशियों का चयन करने में जुटी हैं। उसी समय पहले चौधरी विजेंद्र सिंह और उसके बाद गुरुवार को हाजी फजलुर्रहमान का पार्टी छोड़ना पार्टी के लिए बड़ा झटका है। चौधरी विजेंद्र सिंह इस लोकसभा चुनाव में बिजनौर सीट से चुनाव लड़े थे, उन्होने 29 जून को बसपा से नाता तोड़ लिया।
इसके बाद सहारनपुर से पूर्व सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने भी भी गुरुवार को मायावती से दूरी बनाकर अब पश्चिमी यूपी में बसपा की मुश्किलों में इजाफा कर दिया है।