बिहार के डीजीपी पद को मंगलवार को अचानक छोड़ने वाले गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि वे किसी भी राजनीतिक पार्टी से अभी नहीं जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि इसे लेकर उन्होंने कोई फैसला नहीं लिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सामाजिक कार्य करने की बात है तो वे बिना राजनीति में आए भी इसे कर सकते हैं।
गुप्तेश्वर पांडेय के बिहार विधानसभाॉ चुनाव लड़ने की अटकलें मंगलवार को बेहद तेज उस समय हो गई थी जब उन्होंने वीआरएस ले लिया था। साथ ही नीतीश कुमार की सरकार ने भी इसे मंजूरी दे दी थी। ऐसे में ये अटकलें शुरू हो गईं कि वे चुनाव लड़ सकते हैं और उन्हें बक्सर से टिकट दिया जा सकता है।
सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के मामले में बेहद मुखर रहे गुप्तेश्वर पांडेय ने साथ ही रिया चक्रवर्ती के लिए दिए 'औकात' वाले बयान पर भी सफाई दी। उन्होंने पत्रकारों के सवाल पर कहा- 'औकात का मतलब डिक्शनरी में देखिए। कोई भी जो आरोपी है जो संवैधानिक पद पर बैठे शख्स पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।'
गुप्तेश्वर पांडेय से इस बात से भी इनकार किया कि उनके डीजीपी पद छोड़ने के फैसले का सुशांत सिंह राजपूत मामले से कोई कनेक्शन है, जो अब राजनीतिक मुद्द भी बन गया है।
'लोगों से बात करूंगा फिर लूंगा फैसला'
गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा, 'मैं अब डीजीपी नहीं हूं। इसलिए मुझ पर अब कोई सरकारी नियम लागू नहीं होते हैं। जहां तक सवाल है कि क्या करूंगा....लोग बक्सर, जहानाबाद, बेगुसराय और कई जिलों से मेरे पास आ रहे हैं। मैं लोगों से बात करूंगा कि वे किस तरह से मेरी सेवा चाहते हैं और फिर कोई फैसला लूंगा।'
इस सवाल पर कि क्या वे चुनाव लड़ना चाहते हैं, पांडेय ने कहा, 'मैंने अभी ऐसा नहीं कहा कि कि मैं चुनाव लड़ूंगा।'
गुप्तेश्वर पांडेय 1987 बैच के आईपीएस अफसर हैं। उन्हें पिछले साल केएस द्विवेदी के रिटायरमेंट के बाद 2019 में जनवरी में बिहार का डीजीपी बनाया गया था।
डीजीपी के तौर पर उनका कार्यकाल 28 फरवरी 2021 तक था। हालांकि, पांच महीने पहले ही उन्होंने रिटायरमेंट ले ली। संयुक्त बिहार में कई जिलों के एसपी और रेंज डीआईजी के अलावा वे मुजफ्फरपुर के जोनल आईजी भी रहे हैं।