गुजरातः एससी/एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर कोर्ट सख्त, दलितों से मुआवजा वापस लेने के लिए सरकार को आदेश
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 14, 2019 08:48 IST2019-09-14T08:48:09+5:302019-09-14T08:48:09+5:30
दीसा की जिला अदालत में विशेष जज चिराग मुंशी ने ने कहा कि सरकार से मुआवजा लेने के लिए एससी एसटी एक्ट के गलत इस्तेमाल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

गुजरातः एससी/एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर कोर्ट सख्त, दलितों से मुआवजा वापस लेने के लिए सरकार को आदेश
गुजरात के बनासकांठा जिले में विशेष जज ने सरकार को दलितों को दिया मुआवजा वापस लेने के निर्देश दिए हैं। तीन अलग-अलग मामलों में विशेष जज चिराग मुंशी ने पाया कि एससी/एसटी एक्ट का इस्तेमाल कर झूठा केस दर्ज कराया गया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक दीसा की जिला अदालत में विशेष जज चिराग मुंशी ने तीन मामलों में फैसला सुनाया। इसमें दो ऐसे मामले थे जिसमें महिलाओं ने ऊंची जाति के लोगों पर प्रताड़ना का आरोप एससी एसटी एक्ट के तहत लगाया था।
विशेष जज ने आदेश दिया कि इनसे मुआवजे की राशि रिकवर की जाए। उन्होंने कहा कि सरकार से मुआवजा लेने के लिए एससी एसटी एक्ट के गलत इस्तेमाल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
आदेश के बाद गुजरात सरकार का सामाजिक कल्याण विभाग पशोपेश की स्थिति में है। बताया जा रहा है कि एससी एसटी एक्ट में मुआवजे की राशि वितरित करने के बाद रिकवर करने का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि, सरकार ने गुजरात हाई कोर्ट में अपील दायर की है।
विशेष जज ने जिन तीन मामलों पर ये फैसला सुनाया है वो 2014, 2016 और 2017 के हैं। दो मामलो में शिकायकर्ता महिलाएं हैं और तीसरे मामले में एक युवक ने आरोप लगाया है कि एक उच्च जाति के व्यक्ति ने सड़क दुर्घटना में उसकी पत्नी को जख्मी कर दिया और गालियां दी।
दो मामलों में कोर्ट ने शिकायत को झूठा पाते हुए आरोपी को बाइज्जत बरी कर दिया। तीसरे मामले में कोर्ट ने आरोपी को एससी एसटी एक्ट से बरी कर दिया हालाकि उस पर रैश ड्राइविंग के मुकदमा का आरोपी बनाया। इस मामले में प्राप्त मुआवजा राशि को रिकवर करने के भी आदेश दिए।
एससी एसटी एक्ट के प्रावधानों के तहत राज्य सरकार पीड़ित दलित को मुआवजा देती है। मर्डर के केस में मुआवजे की राशि 8.25 लाख, रेप और गैंगरेप में 5 लाख, यौन शोषण में 2 लाख, किसी धार्मिक परिसर में प्रवेश से रोक पर 1 लाख और आपत्तिजनक टिप्पणी पर 1 लाख का मुआवजा देने का प्रावधान है।
आम तौर पर 25 प्रतिशत मुआवजे की राशि एफआईआर के वक्त और 50 प्रतिशत चार्जशीट दाखिल करते वक्त दी जाती है। शेष 25 प्रतिशत राशि आरोप साबित होने के बाद दी जाती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2018 से मई 2019 के बीच कुल 16.88 करोड़ रुपये मुआवजे के रूप में शिकायतकर्ताओं को दिए गए हैं।