गुजरात में फिर से पटेल राज की वापसी के संकेत, चुनाव पूर्व सर्वे भारी पड़ा विजय रुपाणी को
By हरीश गुप्ता | Updated: September 12, 2021 16:04 IST2021-09-12T16:03:25+5:302021-09-12T16:04:19+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की भारी लोकप्रियता के बावजूद 182 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 99 सीट हासिल करने में पसीना आ गया.

जुलाई 2020 में मिला जब सी.आर. पाटिल को एकाएक गुजरात भाजपा का प्रमुख बना दिया गया. पाटिल मोदी के बेहद विश्वासपात्र हैं.
नई दिल्लीः गुजरात के मुख्यमंत्री पद से आज इस्तीफा देने वाले विजय रुपाणी की किस्मत का फैसला वैसे तो 18 दिसंबर 2017 को ही हो गया था, जब गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा 100 सीटों का आंकड़ा नहीं छू पाई थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की भारी लोकप्रियता के बावजूद 182 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 99 सीट हासिल करने में पसीना आ गया. कांग्रेस ने दूसरी ओर पिछले चुनाव से 16 सीटें ज्यादा जीतते हुए विधायकों की संख्या को 77 तक पहुंचा दिया था.
उस वक्त नोटबंदी को हार की वजह करार दिया गया था, लेकिन भाजपा के भीतर सबको पता था कि इसकी वजह पार्टी की अंदरूनी वर्चस्व की लड़ाई और पटेल समुदाय की नाराजगी है. अगस्त 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल से इस्तीफा लेकर महत्वहीन नेता विजय रुपाणी को चुनकर मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी गई थी.
भाजपा नेतृत्व रुपाणी के पक्ष में था और मोदी को उसकी बात माननी पड़ी. तभी यह साफ हो चुका था कि अगला विधानसभा चुनाव विजय रुपाणी के नेतृत्व में नहीं लड़ा जाएगा. इसका पहला संकेत जुलाई 2020 में मिला जब सी.आर. पाटिल को एकाएक गुजरात भाजपा का प्रमुख बना दिया गया. पाटिल मोदी के बेहद विश्वासपात्र हैं.
इसके अलावा कोविड-19 से निपटने में भी रुपानी बुरी तरह से नाकाम साबित हुए. इसके बाद जुलाई 2021 में मनसुखभाई मंडाविया का केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के पद पर चौंकाने वाला प्रमोशन आया. दो बार के राज्यसभा सांसद मंडाविया को 2012 में विधानसभा टिकट तक नहीं दिया गया था जबकि वह 2007 का चुनाव बहुत बड़े अंतर से जीते थे. गुजरात में अनेक भाजपाई मंडाविया को मुख्यमंत्री के पद के काबिल समझते हैं.
ये हैं मुख्यमंत्री पद के दावेदार
जानकारी के अनुसार गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल, आर.सी. फाल्दू और प्रफुल्ल खोदा पटेल (प्रशासक, दादरा व नागर हवेली व लक्षद्वीप) भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. लेकिन जैसा कि राजनीति में होता है हमेशा चौंकाने वाले नाम की गुंजाईश बनी ही रहती है.