केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश के सबसे बड़े अर्द्धसैनिक बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को निर्देश दिया है कि वह कड़े ‘सुरक्षा बल कोर्ट’ (एसएफसी) को अपनाए। एसएफसी बल के समूह ‘ए’ अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के लिए कानूनी प्रावधान है। बल में फिलहाल इस उद्देश्य के लिए सीसीएस (केंद्रीय लोक सेवा) नियमों का पालन किया जाता है जिसके अधीन केंद्र सरकार के सभी गैर वर्दीधारी अधिकारी आते हैं। सीआरपीएफ गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में आती है और उसने 23 अगस्त को आदेश जारी कर 3.25 लाख कर्मियों वाले बल को निर्देश दिया कि वह “समूह 'ए' अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए सुरक्षा बल कोर्ट के प्रावधानों को अपने कानूनों और नियमों में शामिल करने के लिए तत्काल कार्रवाई करे।”पीटीआई-भाषा के पास यह आदेश है, जिसमें कहा गया है कि यह इसलिए जरूरी है क्योंकि बल के अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही सीसीएस (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1965 के तहत की जा रही है और उसमें "निष्कर्ष तक पहुंचने में बहुत लंबा समय" लग रहा है।उसमें कहा गया है कि बीएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी जैसे अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के अधिकारी 'सुरक्षा बल अदालत' कार्यवाही के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना कर रहे हैं और ऐसे मामले "कम समय में" समाप्त हो गए।अधिकारियों के अनुसार, 'सुरक्षा बल अदालत' व्यवस्था अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने और निर्णय लेने की सख्त एवं कड़ी व्यवस्था है। उनके मुताबिक, इसमें एक ‘सामान्य बल अदालत’ गठित करने का प्रावधान है जिसके पास कार्यवाही के दौरान आरोपी को गिरफ्तार करने, हिरासत में लेने और जेल भेजने की शक्तियां हैं। ‘सामान्य बल अदालत’ कार्यवाही पूरी होने के बाद सजा के रूप में रैंक में कटौती करने, वेतन और भत्तों को रोकने, जुर्माना लगाने और अधिकारी को फटकार लगाने का आदेश भी दे सकती है। उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसलों के खिलाफ अपील करने का तंत्र भी होता है। गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि सीआरपीएफ में अधिकारियों की अनुशासनात्मक कार्रवाई के "बड़ी संख्या" के मामले ड्यूटी से अनधिकृत रूप से अनुपस्थिति रहने से संबंधित हैं और इन्हें समाप्त होने में लंबा समय लग रहा है।
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