सवर्ण आरक्षण: राज्यसभा में मोदी सरकार की अग्निपरीक्षा आज, लोकसभा से लग चुकी है मुहर
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 9, 2019 08:47 AM2019-01-09T08:47:08+5:302019-01-09T13:15:01+5:30
मंगलवार को लोकसभा में पेश किए गए आरक्षण विधेयक का लगभग सभी पार्टियों ने समर्थन किया, लेकिन राज्यसभा में विपक्षी पार्टियां इस पर कड़ा रुख अपना सकती हैं।
आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए विधेयक के समय पर राज्यसभा में विपक्षी पार्टियां बुधवार को सवाल उठा सकती हैं। बताया जा रहा है कि विपक्षी पार्टियों ने अपने सभी सदस्यों से बुधवार को राज्यसभा में मौजूद रहने के लिए कहा है। राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है।
मंगलवार को लोकसभा में पेश किए गए आरक्षण विधेयक का लगभग सभी पार्टियों ने समर्थन किया, लेकिन राज्यसभा में विपक्षी पार्टियां इस पर कड़ा रुख अपना सकती हैं। राज्यसभा में बीजेपी के पास सबसे अधिक 73 सदस्य हैं, जबकि मुख्य विपक्षी कांग्रेस के 50 सदस्य हैं। राज्यसभा में अभी सदस्यों की कुल संख्या 244 है।
खबरों कि मानें विपक्षी पार्टियों के नेता राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन के लिए बढ़ाने के सरकार के ‘‘एकतरफा’’ कदम का भी विरोध कर रहे हैं और वे सदन में विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने बताया कि कांग्रेस इस विधेयक का समर्थन कर सकती है, जबकि विपक्षी पार्टियां इसे पारित करने में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।
लोकसभा में पास हो चुका है सवर्ण आरक्षण बिल
सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को मंगलवार को 3 के मुकाबले 323 मतों से लोकसभा की मंजूरी मिल गयी। अब कल इसके राज्यसभा में जाने की संभावना है जहां उच्च सदन की बैठक एक दिन और बढ़ा दी गयी है।
लोकसभा में विपक्ष सहित लगभग सभी दलों ने 'संविधान (124 वां संशोधन) , 2019' विधेयक का समर्थन किया। साथ ही सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिये लाया गया है।
लोकसभा में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी सरकार बनने के बाद ही गरीबों की सरकार होने की बात कही थी और इसे अपने हर कदम से उन्होंने साबित भी किया। उनके जवाब के बाद सदन ने 3 के मुकाबले 323 मतों से विधेयक को पारित कर दिया।
(भाषा इनपुट के साथ)