नयी दिल्ली, तीन जनवरी प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने रविवार को अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अनेक अग्रिम चौकियों के अपने दो दिवसीय दौरे के आखिर में कहा कि वह सशस्त्र बल कर्मियों के उच्च मनोबल से संतुष्ट हैं, ‘‘जो मौका दिये जाने पर या चुनौती मिलने पर जीत सुनिश्चित करेंगे।’’
जनरल रावत ने पूर्वी लद्दाख में चीन और भारत के बीच करीब आठ महीने से जारी गतिरोध के बीच सीमावर्ती प्रदेश में अहम स्थानों का दौरा किया।
सेना ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘सीडीएस ने स्थानीय रूप से विकसित प्रौद्योगिकी के माध्यम से निगरानी के अभिनव तरीके अपनाने और किसी चुनौती से निपटने की रक्षा तैयारियों के लिए सैनिकों की प्रशंसा की।’’
इसमें कहा गया, ‘‘सीडीएस ने कहा कि वह सभी स्तर के कर्मियों के उच्च मनोबल और प्रोत्साहन से संतुष्ट हैं, जो मौका दिये जाने पर या चुनौती मिलने पर निश्चित ही जीत सुनिश्चित करेंगे।’’
सेना के अनुसार शनिवार सुबह राज्य में पहुंचने के बाद से ही सीडीएस ने दिबांग घाटी, लोहित सेक्टर और सुबनसिरी घाटी में कई प्रमुख क्षेत्रों का दौरा किया।
बयान में बताया गया कि जनरल रावत ने रविवार को सुबनसिरी घाटी के क्षेत्रों में तैनात सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों के साथ बातचीत की।
सूत्रों ने कहा कि जनरल रावत ने अग्रिम ठिकानों पर सशस्त्र बलों की समग्र तैयारियों का जायजा लिया और उनसे चौकन्ना रहने को कहा।
सीडीएस ने शनिवार को अग्रिम क्षेत्रों में कुछ इलाकों का हवाई मुआयना किया और अनेक एयर बेस का भी दौरा किया।
पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के मद्देनजर चीन के साथ करीब 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सेना और वायु सेना उच्च स्तर की तैयारियां रख रही हैं।
पूर्वी लद्दाख में अनेक पर्वतीय क्षेत्रों में भारतीय सेना के करीब 50,000 सैनिक तैनात हैं। मई में शुरू हुए गतिरोध के समाधान के लिए दोनों पक्षों के बीच अनेक दौर की वार्ता का कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है।
अधिकारियों के अनुसार चीन ने भी इतनी ही संख्या में सैनिक तैनात कर रखे हैं।
छह नवंबर को दोनों पक्षों के बीच आठवें दौर की पिछली वार्ता हुई थी, जिसमें दोनों पक्षों ने टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी पर व्यापक रूप से बातचीत की थी।
जनरल रावत शुक्रवार को असम के चाबुआ में दिनजान वायु सेना केंद्र पहुंचे थे और दो दिन के दौरे पर शनिवार को अरुणाचल प्रदेश के लिए रवाना हुए।
उनकी अरुणाचल प्रदेश की यात्रा भारत के पहले सीडीएस के रूप में उनके कार्यकाल का एक वर्ष पूरा होने के मौके पर हो रही है।
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