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गंगाजल हो सकता है कोरोना का सबसे सस्ता इलाज , BHU के डॉक्टर्स ने मांगी PM मोदी से रिसर्च की परमिशन

By वैशाली कुमारी | Updated: July 2, 2021 16:23 IST

गंगा मामलों के एक्सपर्ट अरुण गुप्ता ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर गंगा जल के औषधीय गुणों और बैक्टीरियोफेज का पता लगाने की अपील की थी। गंगा किनारे रहने वाले 491 लोगों पर सर्वे किया गया था।

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ठळक मुद्देप्रो. विजय नाथ मिश्र का कहना है कि 1896 में कोलेरा महामारी के दौरान डॉ हैकिंग ने स्टडी की थीमुताबित प्रो. गोपालनाथ ने साल 1980 से 1990 के बीच BHU में मरीजों का इलाज बैक्टिरियोफेज के द्वरा किया थासाल 1980 में यह बात मालूम हुई थी कि सभी नदियों में बैक्टीरियोफेज होते हैं और गंगाजल में ऐसे 1300 तरह के बैक्टीरियोफेज पाए जाते हैं

क्या कोरोना महामारी का इलाज गंगाजल से किया जा सकता है ? यह सवाल आप भी पढ़कर चौंक गए ना। दरअसल गंगाजल से कोरोना का इलाज किए जाने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। वहीं कोर्ट इस पर सुनवाई के लिए भी सहमत है। इस याचिका के साथ ही BHU आईएमएस के डॉक्टर्स का एक साल पुराना दावा फिर से चर्चा में है। बता दें  डॉक्टर्स ने एक बार फिर से पीएम मोदी से अपील की है कि गंगाजल के साइंटिफिक बैकग्राउंड की जांच की परमिशन दें।BHU के डॅाक्टर्स ने दावा किया है कि गंगाजल भले ही वैक्सीन न हो लेकिन कोरोना संक्रमण का सबसे सस्ता इलाज साबित हो सकता है। 

साल 2020 में  BHU के डॉक्टर्स ने दावा किया था कि गंगाजल में मिलने वाले बैक्टिरियोफेज से कोरोना संक्रमण का इलाज संभव है। लेकिन उस समय ICMR ने उनके दावे को खारिज कर दिया था। ICMR ने कहा था कि ऐसी कोई भी क्लीनिकल स्टडी नहीं हुई है, जिसके आधार पर ये कहा जा सके कि गंगाजल से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। फिलहाल अब ये देखना होगा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मामले पर क्या फैसला सुनाएगा।

कोलेरा महामारी के दौरान डॉ हैकिंग ने किया था रिसर्च

BHU के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रो. विजय नाथ मिश्र का कहना है कि साल 1896 में कोलेरा महामारी के दौरान डॉ हैकिंग ने एक स्टडी की थी। उनकी स्टडी के मुताबिक ये पता चला था कि जो लोग गंगा जल का सेवन करते हैं वह कोलेरा से ग्रसित नहीं हो रहे हैं। बीएचययू के मुताबिक लंबे समय तक इस स्टडी पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि साल 1980 में यह बात मालूम हुई थी कि सभी नदियों में बैक्टीरियोफेज होते हैं और गंगाजल में ऐसे 1300 तरह के बैक्टीरियोफेज पाए जाते हैं।

उनके मुताबिक, प्रो. गोपालनाथ ने साल 1980 से 1990 के बीच BHU में मरीजों का इलाज बैक्टिरियोफेज के द्वाराकिया था। इसी तरह से टीबी के इलाज में बीसीजी का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि बीसीजी कोई दवा नहीं है। यह एक बैक्टीरिया है, जिससे टीबी खत्म किया जाता है।

PM मोदी से मांगी रिसर्च की परमिशन

प्रोफेसर मिश्रा ने बताया कि गंगा मामलों के एक्सपर्ट अरुण गुप्ता ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर गंगा जल के औषधीय गुणों और बैक्टीरियोफेज का पता लगाने की अपील की थी। गंगा किनारे रहने वाले 491 लोगों पर सर्वे किया गया था। जिसमें यह खुलासा हुआ कि 274 ऐसे लोग जो रोज गंगा में नहाते हैं और गंगाजल पीते हैं उनको कोरोना नहीं हुआ था। वहीं 217 लोग जो गंगा जल का इस्तेमाल नहीं करते थे, उनमें 20 को कोरोना हुआ और 2 की मौत भी हो गई। उन्होंने कहा कि गंगाजल पर और भी रिसर्च की जरूरत है, अगर  PM मोदी  रिसर्च की परमिशन देते हैं तो हम जल्द से जल्द हम रिसर्च का कार्य शुरू कर देंगे।

टॅग्स :डॉक्टरकोरोना वायरसमेडिकल ट्रीटमेंटरिसर्च एंड एनालिसिस विंग
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