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जी20 के नेताओं ने कोविड-19 के किफायती निदान की प्रतिबद्धता जताई

By भाषा | Updated: November 23, 2020 00:18 IST

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नयी दिल्ली/रियाद, 22 नवंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत जी20 के सदस्य देशों के नेताओं ने रविवार को इस बात पर जोर दिया कि सभी के लिए कोविड-19 के निदान, उपचार और टीके किफायती और समान तरीके से उपलब्ध कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने महामारी के मद्देनजर लोगों की जिंदगियों, रोजगारों और आय की सुरक्षा के लिए हरसंभव नीतिगत साधनों के उपयोग का भी संकल्प लिया।

जी20 के सदस्य देशों के नेताओं के दो दिवसीय सम्मेलन के बाद अंतिम घोषणापत्र जारी किया गया। सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भी भाग लिया।

नेताओं ने यह घोषणा भी कि 2023 में समूह के सम्मेलन की मेजबानी भारत करेगा।

जी20 रियाद सम्मेलन में नेताओं का घोषणापत्र दुनिया की शीर्ष 20 अर्थव्यवस्थाओं के शासन प्रमुखों या राष्ट्राध्यक्षों के सम्मेलन के समापन पर जारी किया गया।

इसमें नेताओं ने कहा है कि 2020 में महामारी की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, वहीं वैश्विक आर्थिक गतिविधियां आंशिक रूप से बढ़ी हैं और ‘‘हमारी अर्थव्यवस्थाएं धीरे-धीरे फिर से खुली हैं तथा हमारी महत्वपूर्ण नीतिगत पहलों के सकारात्मक प्रभाव फलीभूत होने लगे हैं’’।

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था का उबरना ‘असमान, अत्यंत अनिश्चित और बढ़ते नकारात्मक जोखिमों पर निर्भर है’।

जी20 के नेताओं ने धनशोधन रोधी/आतंकवाद वित्तपोषण रोधी नीतिगत कार्रवाइयों का भी समर्थन किया जिनका विवरण कोविड-19 पर एफएटीएफ के पत्र में है।

उन्होंने धनशोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण तथा शस्त्र प्रसार के लिए आर्थिक मदद की रोकथाम के लिहाज से वैश्विक मानक निर्धारण इकाई के तौर पर ‘वित्तीय कार्रवाई कार्य बल’ (एफएटीएफ) के प्रति अपना समर्थन दोहराया।

नेताओं ने घोषणापत्र में कहा, ‘‘हम इन खतरों के सभी स्रोतों, तकनीकों और माध्यमों से निपटने की अपनी मजबूत प्रतिबद्धता दोहराते हैं। हम एफएटीएफ के क्षेत्रीय इकाइयों के वैश्विक नेटवर्क को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराते हैं जिसमें परस्पर मूल्यांकनों में उनकी विशेषज्ञता का समर्थन करना तथा एफएटीएफ के वैश्विक मानकों के पूरी तरह, प्रभावी और त्वरित क्रियान्वयन का आह्वान करना शामिल है।’’

जी20 नेताओं ने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी और लोगों की जिंदगियों, रोजी रोटी तथा अर्थव्यवस्थाओं पर असर के लिहाज से इसके अभूतपूर्व प्रभाव ने ऐसा झटका दिया है कि तैयारियों और कार्रवाई में नाजुकपन सामने आया है तथा साझा चुनौतियां उजागर हुई हैं।

उन्होंने पिछले दो दिन में महामारी से संबंधित अनेक मुद्दों पर विचार-विमर्श के बाद कहा, ‘‘हम सभी विकासशील और अल्प विकसित देशों के समर्थन के लिए प्रतिबद्ध हैं क्योंकि उन्हें कोविड-19 के स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था संबंधी एवं सामाजिक प्रभावों का एक साथ सामना करना पड़ा है।’’

नेताओं ने अफ्रीका तथा छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों में विशेष चुनौतियों का उल्लेख किया।

समूह के नेताओं ने शेष वैश्विक वित्तीय जरूरतों पर ध्यान देने की प्रतिबद्धता जताई।

नेताओं ने यह घोषणा भी कि 2023 में समूह के सम्मेलन की मेजबानी भारत करेगा। पहले 2022 में भारत की मेजबानी का निर्णय हुआ था।

पिछले साल ओसाका में जी20 के घोषणापत्र में 2022 में भारत में आयोजन की घोषणा की गयी थी।

हालांकि रविवार को रियाद के घोषणापत्र में कहा गया, ‘‘हम 2021 में इटली में, 2022 में इंडोनेशिया में, 2023 में भारत में और 2024 में ब्राजील में अपने आगामी सम्मेलनों को लेकर आशान्वित हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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