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श्रीनगर की जामिया मस्जिद में शुक्रवार की नमाज पर रोक लगायी गई

By भाषा | Updated: August 13, 2021 20:45 IST

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श्रीनगर, 13 अगस्त प्राधिकारियों ने कोरोना वायरस स्थिति का हवाला देते हुए शुक्रवार को यहां ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में सामूहिक नमाज अदा करने पर रोक लगा दी।

हालांकि, मस्जिद की प्रबंध समिति ने इस फैसले के खिलाफ नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि प्रशासन ‘‘कोविड -19 की आड़ में’’ शुक्रवार की नमाज के लिए धार्मिक स्थलों को बंद कर रहा है।

इसने अधिकारियों के रवैये को ‘‘बेहद खेदजनक और निराशाजनक’’ बताया।

शहर के नौहट्टा इलाके में स्थित मस्जिद में जुमे की नमाज को चार महीने से अधिक समय बाद पहली बार पिछले शुक्रवार को अनुमति दी गई थी। कोरोना वायरस की दूसरी लहर के मद्देनजर नमाज स्थगित कर दी गई थी।

मस्जिद के प्रबंध निकाय, अंजुमन औकाफ जामिया मस्जिद ने शुक्रवार को एक बयान में मस्जिदों और आसरे-ए-शरीफ दरगाह हजरतबल, खानकाह-ए-मौला और अस्तान आलिया मखदूम साहब सहित अन्य केंद्रीय धार्मिक स्थलों को प्रशासन द्वारा ‘‘कोविड -19 की आड़ में’’ शुक्रवार की नमाज के लिए बंद करने पर आश्चर्य और नाराजगी व्यक्त की।

औकाफ ने कहा, ‘‘शासकों का यह रवैया बेहद खेदजनक और निराशाजनक है।’’

इसने कहा कि जामिया मस्जिद, श्रीनगर को पिछले शुक्रवार को लंबे अंतराल के बाद नमाज और इबादत के लिए फिर से खोल दिया गया था और औकाफ ने यह सुनिश्चित किया था कि जो लोग मस्जिद में नमाज के लिए आए थे वे पूरी तरह से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें।

उसने कहा, ‘‘हालांकि आज, प्राधिकारियों ने न केवल जामिया मस्जिद और अन्य केंद्रीय और महत्वपूर्ण स्थलों को जुमे की नमाज के लिए बंद कर दिया, बल्कि इसके विपरीत कई केंद्रीय उपासना स्थलों के आसपास भारी सैन्य बलों को तैनात करके भय और दहशत का माहौल बनाने का प्रयास किया।’’

बयान में कहा गया है कि केंद्रीय मस्जिदों के बंद होने के कारण, कई जगहों पर लोगों ने विरोध में सड़कों और परिसर के बाहर नमाज अदा की और ‘‘शासकों के रवैये पर अपना आक्रोश व्यक्त किया।’’

उसने कहा, ‘‘यह विडंबना है कि एक तरफ जब लोगों के आधिकारिक कार्यक्रमों में भाग लेने का मामला होता है तो कोविड के बारे में सभी चिंताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है, जबकि केंद्रीय मस्जिदों और इमामबाड़ों में शुक्रवार की नमाज पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है, जहां कोविड मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पूरी तरह से हो पालन किया जा रहा है।’’

प्रबंध निकाय ने प्रतिबंध हटाने की मांग की और हुर्रियत अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक की तत्काल रिहाई की भी मांग की, जो अगस्त 2019 से नजरबंद हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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