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FlashBack 2019: इस साल स्वास्थ्य मंत्रालय की लिस्ट में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में सुधार, ई-सिगरेट पर पाबंदी रहे मुख्य कार्य

By भाषा | Updated: December 29, 2019 16:22 IST

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध कानून, 2019 छह दिसंबर को अधिसूचित किया गया जिसके माध्यम से ऐसे वैकल्पिक धूम्रपान उपकरणों के उत्पादन, आयात, निर्यात, बिक्री या विज्ञापन को संज्ञेय अपराध बनाते हुए जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। हालांकि केंद्र सरकार डॉक्टरों और अन्य चिकित्साकर्मियों पर हमलों को रोकने के लिए कानून नहीं ला सकी।

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ठळक मुद्देइस साल स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रमुख कामकाजों में दो अहम विधेयकों का पारित होना शामिल रहा इनमें एक चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में व्यापक सुधार लाने के मकसद से तो दूसरा ई-सिगरेट पर प्रतिबंध से संबंधित है

इस साल स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रमुख कामकाजों में दो अहम विधेयकों का पारित होना शामिल रहा जिनमें एक चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में व्यापक सुधार लाने के मकसद से तो दूसरा ई-सिगरेट पर प्रतिबंध से संबंधित है। स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए मानव संसाधन की उपलब्धता बढ़ाने की दिशा में मंत्रालय ने 2019 में देश के ऐसे जिलों में 75 जिला अस्पतालों को 2021-22 तक मेडिकल कॉलेजों में बदलने की प्रक्रिया शुरू की जिनमें कोई मेडिकल कॉलेज नहीं था।

यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद भारत में एमबीबीएस की 15,700 सीटें और बढ़ जाएंगी। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम ने करीब 63 साल पुराने भारतीय चिकित्सा परिषद कानून की जगह ली थी। एमसीआई में भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर नयी संस्था लाने का विचार रखा गया ताकि गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा मिले और खर्च कम हों।

कानून को आठ अगस्त को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली और इसी दिन यह अधिसूचित कर दिया गया। एनएमसी के प्रभाव में आते ही एमसीआई स्वत: ही समाप्त हो जाएगी। राष्ट्रपति ने 2018 में एमसीआई को भंग कर दिया था और इसके कामकाज को देखने के लिए संचालक मंडल की नियुक्ति की गयी।

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध कानून, 2019 छह दिसंबर को अधिसूचित किया गया जिसके माध्यम से ऐसे वैकल्पिक धूम्रपान उपकरणों के उत्पादन, आयात, निर्यात, बिक्री या विज्ञापन को संज्ञेय अपराध बनाते हुए जेल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। हालांकि केंद्र सरकार डॉक्टरों और अन्य चिकित्साकर्मियों पर हमलों को रोकने के लिए कानून नहीं ला सकी।

गृह मंत्रालय ने ऐसे कानून का विरोध करते हुए कहा है कि किसी एक पेशे के लोगों की सुरक्षा के लिए अलग से कानून नहीं लाया जा सकता। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने डॉक्टरों पर हमलों की बढ़ती घटनाओं की पृष्ठभूमि में प्रस्तावित कानून पर आगे काम करते रहने का फैसला किया। मंत्रालय ने इस साल अक्टूबर में ‘इन्टेन्सिफाइड मिशन इंद्रधनुष 2.0’ भी शुरू किया जिसमें कम टीकाकरण वाले क्षेत्रों में कवरेज बढ़ाने पर खास ध्यान दिया गया है।

नवंबर में भारत के महापंजीयक (आरजीआई) ने नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) की रिपोर्ट जारी की जिसमें भारत में मातृ मृत्यु दर में 2014-16 के मुकाबले कमी दिखाई दी और यह संख्या 130 से घटकर 2015-17 में 122 प्रति एक लाख जन्म हो गयी।

इसी साल अक्टूबर में सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन) योजना की शुरूआत भी मंत्रालय की प्रमुख पहलों में शामिल है। भारत में निर्धन वर्ग को किफायती उपचार सुविधाएं मुहैया कराने के लिहाज से 2018 में शुरू की गयी आयुष्मान भारत योजना के तहत गत 18 दिसंबर तक 69 लाख से अधिक लोग इलाज करा चुके हैं। 

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