संसद के सेंट्रल हॉल में आने वालों की संख्या पर लग सकती है लगाम, इतिहास में पहली बार होगा ऐसा
By शीलेष शर्मा | Updated: March 20, 2020 05:57 IST2020-03-20T05:57:00+5:302020-03-20T05:57:00+5:30
इसके पीछे जो दलील दी जा रही है उसमें कहा गया है कि केंद्रीय कक्ष जिस उद्देश्य के लिए जाना जाता है वह पिछड़ता जा रहा है और यहां इतनी भीड़ एकत्रित होने लगी है कि विभिन्न मंत्री और सांसद इस केंद्रीय कक्ष में आने से परेहज कर रहे है जहां अक्सर पत्रकारों और पूर्व सांसदों का भारी जमावड़ा बना रहता है.

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार गंभीरता से संसद के केंद्रीय कक्ष में आने वालों की संख्या पर अंकुश लगाने की तैयारी कर रही है. संसदीय इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब किसी सरकार की गाज केंद्रीय कक्ष जो ‘सेंट्रल हॉल’ के नाम से जाना जाता है में आने वालों की संख्या को सीमित करने की तैयारी हो रही है.
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार इस फैसले के तहत पूर्व सांसदों, पत्रकारों की विभिन्न श्रेणियों पर सबसे पहले अंकुश लगाने की तैयारी है. इसके पीछे जो दलील दी जा रही है उसमें कहा गया है कि केंद्रीय कक्ष जिस उद्देश्य के लिए जाना जाता है वह पिछड़ता जा रहा है और यहां इतनी भीड़ एकत्रित होने लगी है कि विभिन्न मंत्री और सांसद इस केंद्रीय कक्ष में आने से परेहज कर रहे है जहां अक्सर पत्रकारों और पूर्व सांसदों का भारी जमावड़ा बना रहता है. हालांकि यह अभी साफ नहीं है कि सरकार यह व्यवस्था कब से लागू करेगी लेकिन सूत्रों ने दावा किया कि इस आशय का विचार सरकार के सर्वोच्च स्तर पर विचाराधीन है.
सेंट्रल हॉल का इतिहास रहा है 1927 में लॉर्ड इरविन ने इस ऐतिहासिक इमारत का उद्घाटन किया जिसे ब्रिटेन के एडविन लुटियन्स और हारवॅट बेकर ने डिजाइन किया था. 98 फीट वर्ग फीट में फैले इस इमारत के मध्य में सेंट्रल हॉल बना है जिसका अपना इतिहास महत्व बना है क्योंकि किसी कक्ष में भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया गया था. परंपरागत राष्ट्रपति दोनों सदनों को इसी कक्ष में संबोधित करते है और संयुक्त अधिवेशन भी कक्ष में बुलाया जाता है जहां सांसद, मंत्री, पत्रकार, पूर्व सांसद बैठकर भोजन के साथ-साथ आपसी चर्चा करते है.