राजस्थान के निजी अस्पताल में स्टॉफ सदस्यों द्वारा मुस्लिम मरीजों के इलाज नहीं करने के मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। चूरू जिले की पुलिस ने कहा है कि एक व्हाट्सअप ग्रुप पर अस्तपताल के डॉक्टर, टेक्निशियन और कंपाउडर कोविड-19 से पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय के रोगियों के इलाज नहीं करने पर चर्चा कर रहे थे। निजी अस्पताल के मालिक ने व्हाट्सएप चैट के लिए माफी मांगी हैं। उन्होंने कहा है कि चैट अप्रैल के महीने के हैं जब तबलीगियों के मामले अधिक संख्या में थे।
चुरू जिले के सरदारशहर शहर के श्रीचंद बरदिया हॉस्पिटल में काम करने वाली दो महिलाओं के बीच हुए चैट का स्क्रीनशॉट वायरल हो गया था। इसके बाद मामले का संज्ञान लेते हुए पुलिस ने शुक्रवार को शिकायत दर्ज की। रविवार को पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A (किसी भी धर्म पर हमला) और सार्वजनिक उपद्रव के लिए जिम्मेदार बयानों (आपदा प्रबंधन अधिनियम के उल्लंघन की प्रासंगिक धाराओं) के तहत आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। सरदारशहर पुलिस स्टेशन के एसएचओ महेंद्र दत्त शर्मा ने रविवार को कहा, "तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें प्रारंभिक जांच के बाद एक डॉक्टर, एक लैब टेक्निशियन और एक कंपाउडर शामिल है।"
श्रीचंद बरदिया रोग निदान केंद्र के प्रमुख डॉक्टर सुनील चौधरी ने इस बाबत फेसबुक पर एक पोस्ट लिख माफी मांगते हुए कहा कि उनके कर्मचारियों का किसी भी धार्मिक समूह को चोट पहुंचाने का इरादा नहीं था। ये हॉस्पिटल चुरू शहर से लगभग पचास किलोमीटर पश्चिम में सरदार शहर में स्थित है। पुलिस ने कहा है कि व्हाट्सअप चैट पर खुद सुनील चौधरी की पत्नी कथित तौर पर शामिल रहीं। उनकी पत्नी भी डॉक्टर हैं। हालांकि उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया है।
वायरल व्हाट्सएप चैट में एक आरोपी ने लिखा है कि कल मैं मुस्लिम मरीज का एक्सरे नहीं करुंगा। ये मेरी शपथ है। इसके जवाब में दूसरा लिखता है कि मुस्लिम मरीजों को देखना ही बंद करवा दो। ग्रुप में एक और व्यक्ति ने इसका जवाब देते हुए लिखा, अगर मुस्लिम डॉक्टर कभी हिंदू पॉजिटिव को नहीं देखते।