वित्त से बिजली मंत्रालय में स्थानांतरण के बाद सचिव गर्ग ने मांगा वीआरएस, 31 अक्टूबर सिविल सेवा में आखिरी दिन
By भाषा | Updated: July 25, 2019 20:18 IST2019-07-25T20:18:22+5:302019-07-25T20:18:22+5:30
उन्होंने कहा कि 31 अक्टूबर सिविल सेवा में उनका आखिरी दिन होगा। वित्त मंत्रालय में 58 वर्षीय गर्ग सबसे वरिष्ठ नौकरशाह थे। वह आर्थिक मामलों के विभाग के प्रभारी रहे और उन्हें वित्त सचिव नामित किया गया था। हालांकि, आश्चर्यजनक तरीके से बुधवार को जारी एक आदेश के तहत उन्हें बिजली सचिव बना दिया गया।

नॉर्थ ब्लॉक से निकलते समय गर्ग ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘तीन महीने का नोटिस देने की जरूरत थी। इसीलिए मैंने नोटिस दिया।’’
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वरिष्ठ अधिकारी सुभाष चंद्र गर्ग ने महत्वपूर्ण माने जाने वाले वित्त मंत्रालय से बिजली मंत्रालय में स्थानातंरित किए जाने के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिये सरकार को आवेदन दिया।
उन्होंने कहा कि 31 अक्टूबर सिविल सेवा में उनका आखिरी दिन होगा। वित्त मंत्रालय में 58 वर्षीय गर्ग सबसे वरिष्ठ नौकरशाह थे। वह आर्थिक मामलों के विभाग के प्रभारी रहे और उन्हें वित्त सचिव नामित किया गया था। हालांकि, आश्चर्यजनक तरीके से बुधवार को जारी एक आदेश के तहत उन्हें बिजली सचिव बना दिया गया।
उन्होंने बृहस्पतिवार की सुबह वीआरएस के लिये आवेदन दिया। वह तीन महीने नोटिस पर रहेंगे। यह नौकरी से हटने की सेवा शर्तों के तहत अनिवार्य है। गर्ग ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘आर्थिक मामलों के विभाग की जिम्मेदारी सौंप दी। वित्त मंत्रालय और आर्थिक मामलों के विभाग में काफी कुछ सीखा। बिजली मंत्रालय में कल कार्यभार संभालूंगा। भारतीय प्रशासनिक सेवा से 31 अक्टूबर से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिये भी आवेदन किया।’’
अतनु चक्रवर्ती को कार्यभार सौंपने के बाद उनका ट्वीट आया। चक्रवर्ती ने उनका स्थान लिया। वह पहले निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) में थे। नॉर्थ ब्लॉक से निकलते समय गर्ग ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘तीन महीने का नोटिस देने की जरूरत थी। इसीलिए मैंने नोटिस दिया।’’
Yesterday, he was appointed as Secretary, Ministry of Power. He earlier held the post of Secretary, Department of Economic Affairs, Ministry of Finance. https://t.co/m1A37ZAsV5
— ANI (@ANI) July 25, 2019
नॉर्थ ब्लॉक में वित्त मंत्रालय का दफ्तर है। आर्थिक मामलों के सचिव के रूप में वह राजकोषीय नीति और आरबीआई संबंधित मामलों के प्रभारी थे। केंद्रीय बजट तैयार करने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। साथ ही वह देश के पहले सरकारी बांड को विदेश में बेचने की योजना को देख रहे थे।
कुछ लोगों ने सरकारी बांड विदेशों में जारी करने की आलोचना की थी। इसमें आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य रथिन रॉय और केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन शामिल हैं।
वित्त मंत्रालय में उनके कार्यकाल को सरकार तथा आरबीआई के बीच कटु संबंधों के लिये जाना जाएगा। वित्त मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया है कि केंद्रीय बैंक को कर्ज नियमों को सरल बनाना चाहिए तथा अतिरिक्त पूंजी भंडार में कुछ हिस्सा सरकार को हस्तांतरित करना चाहिए।
वह रिजर्व बैंक की अतिरिक्त पूंजी सरकार को हस्तांतरित करने के बारे में विचार करने के लिये गठित समिति से भी जुड़े थे। वित्त मंत्रालय से गर्ग को अपेक्षाकृत हल्के माने जाने बिजली विभाग में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट को संसद की मंजूरी से जुड़ी प्रक्रिया पूरी होने के बाद भेजा गया।
अगर उन्होंने वीआरएस के लिये आवेदन नहीं किया होता, तो वह अक्टूबर 2020 में 60 साल की उम्र पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त होते। राजस्थान कैडर के 1983 बैच के आईएएस अधिकारी गर्ग 2014 में विश्वबैंक के कार्यकारी निदेशक बनने के बाद चर्चा में आये।
वह वहां 2017 तक रहे। उसके बाद उन्हें जून, 2017 में आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव बनाया गया। मार्च, 2019 में ए एन झा के सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें वित्त सचिव बनाया गया। इससे पहले, सरकार ने अक्टूबर, 2014 में तत्कालीन वित्त सचिव अरविंद मायाराम को पर्यटन मंत्रालय में भेजा था। वित्त मंत्रालय में चली आ रही परंपरा के मुताबिक मंत्रालय के पांच सचिवों में से जो भी सबसे वरिष्ठ होता है उसे वित्त सचिव नामित किया जाता है।