मुंबईः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार दिल्ली में बन रहे नए संसद भवन की छत पर भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण किया जिसके बाद से ही इसको लेकर विवाद छिड़ गया। आलोचकों का कहना है कि नए संसद भवन की छत पर लगने वाले राष्ट्रीय प्रतीक के शेर, अपने वास्तविक ऐतिहासिक 'लुक' की तुलना में 'क्रूर' दिख रहे हैं। इस बीच फिल्ममेकर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने विरोधियों को फटकार लगाई है और उन्हें अर्बन नक्सल बताया।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के शेर की आकृति को लेकर उठे विवाद के बीच फिल्ममेकर ने ट्वीट किया, "सेंट्रल विस्टा में नए राष्ट्रीय प्रतीक ने एक बात साबित कर दी है कि सिर्फ कोण बदलकर शहरी नक्सलियों को बेवकूफ बनाया जा सकता है। खासकरके नीचे के एंगल को"।
इसके विपरीत कलाकारों का कहना है कि नीचे से देखने पर विकृत लगा रहा है क्योंकि मूर्ति काफी बड़ी है। कलाकारों ने कहा कि मूर्ति में कोई बदलाव नहीं किया गया है। अग्निहोत्री ने ट्वीट किया, "शहरी नक्सलियों को बिना दांतों वाला खामोश शेर चाहिए। ताकि वे इसे पालतू जानवर की तरह इस्तेमाल कर सकें।"
महुआ मोइत्रा और जवाहर सरकार सहित कई तृणमूल नेताओं ने नए प्रतीक की आलोचना की है। काली विवाद में पहले से घिरीं टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा को लेकर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि उनकी आलोचना अप्रत्याशित नहीं थी क्योंकि वे देवी काली का अपमान करते हैं और संविधान के प्रति निरादर दिखाते हैं।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि अगर नई इमारत पर सटीक प्रतिकृति लगाई गई होती, तो यह दिखाई नहीं देती क्योंकि प्रतीक जमीन से 33 मीटर की ऊंचाई पर है। पुरी ने कहा, मूल सारनाथ प्रतीक 1.6 मीटर ऊंचा है जबकि नए संसद भवन के शीर्ष पर प्रतीक विशाल है। 6.5 मीटर की ऊंचाई पर है।
तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने प्रतीक में विकृति को 'सत्यमेव जयते' से 'संघीमेव जयते' में परिवर्तित करार दिया। जबकि भाजपा नेता ने परोक्ष रूप से मोइत्रा को 'नव विशेषज्ञ' कहकर उन पर कटाक्ष किया। वहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व एडीजी बीआर मणि ने कहा कि कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं है। मेरा मानना है कि जो बनाया गया है वह सारनाथ में पाए गए अशोक स्तंभ की एक अच्छी प्रति है।