किसान आंदोलन: आप सरकार ने वकीलों की समिति को खारिज किया, गेंद अब उपराज्यपाल के पाले में

By भाषा | Updated: July 16, 2021 20:25 IST2021-07-16T20:25:49+5:302021-07-16T20:25:49+5:30

Farmers' movement: AAP government has dismissed the lawyers' committee, the ball is now in the lieutenant governor's court | किसान आंदोलन: आप सरकार ने वकीलों की समिति को खारिज किया, गेंद अब उपराज्यपाल के पाले में

किसान आंदोलन: आप सरकार ने वकीलों की समिति को खारिज किया, गेंद अब उपराज्यपाल के पाले में

नयी दिल्ली, 16 जुलाई आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया जिसमें 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा से संबंधित मामलों पर बहस करने के लिए लोक अभियोजकों की एक समिति बनाने का प्रस्ताव दिया गया था। इससे राज्य सरकार तथा केंद्र एवं उपराज्यपाल कार्यालय के साथ नए सिरे से टकराव की स्थिति पैदा हो गई।

सूत्रों ने बताया कि हालांकि उपराज्यपाल अनिल बैजल संविधान के तहत उन्हें दिये गये विशेष अधिकारों का उपयोग कर सकते हैं और दिल्ली पुलिस द्वारा चुनी गई वकीलों की समिति को मंजूरी दे सकते हैं।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘‘वकीलों की नियुक्ति दिल्ली सरकार के दायरे में आती है। उपराज्यपाल केवल दुर्लभतम मामलों में दिल्ली सरकार के फैसले पर अपनी राय दे सकते हैं।’’ उन्होंने डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने उपराज्यपाल द्वारा इस वीटो अधिकार के उपयोग को परिभाषित किया है। राशन को घर-घर तक पहुंचाना और किसानों के विरोध से संबंधित अदालती मामले दुर्लभ से दुर्लभतम मामले नहीं हैं। इस अधिकार का इस्तेमाल हर किसी मामले में नहीं किया जा सकता है। यह लोकतंत्र की हत्या है।’’

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरूद्ध किसानों के प्रदर्शन से संबंधित मामले लड़ने के लिए वकीलों की समिति बनाने का पुलिस का प्रस्ताव शुक्रवार को खारिज कर दिया। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि किसानों का समर्थन करना भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है और दिल्ली सरकार ने उन पर कोई उपकार नहीं किया है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हमने देश के किसानों के प्रति केवल अपना कर्तव्य निभाया है। एक किसान अपराधी या आतंकवादी नहीं है, बल्कि हमारा 'अन्नदाता' है।’’

दिल्ली सरकार ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के मामलों में पेश होने वाले अपने अभियोजकों को बदलने और उनकी जगह दिल्ली पुलिस के अभियोजकों की सेवाएं लेने के लिए दबाव डालने का बृहस्पतिवार को आरोप लगाया था।

दिल्ली सरकार के एक अधिकारी के अनुसार, किसानों के विरोध के मामलों पर बहस करने के शहर पुलिस के प्रस्ताव को खारिज करने के मंत्रिमंडल के फैसले से उपराज्यपाल को अवगत कराया जाएगा। अधिकारी ने कहा, ‘‘यह तय किया गया कि किसानों के आंदोलन से जुड़े अदालती मामलों में दिल्ली सरकार के वकील सरकारी वकील होंगे।’’

हालांकि, सूत्रों ने कहा कि उपराज्यपाल संविधान के तहत अपने विशेष अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं और विवाद को भारत के राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं।

मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से एक बयान में कहा गया कि उपराज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल ने शहर की सीमाओं पर केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के खिलाफ मामलों में पेश होने वाले दिल्ली सरकार के वकीलों के पैनल को ‘खारिज’ कर दिया है।

सीएमओ ने बृहस्पतिवार को कहा था, ‘‘कृषि कानून विरोधी आंदोलन के आरोपी किसानों के खिलाफ केंद्र सरकार अब खुलकर सामने आ गई है। एलजी ने दिल्ली सरकार के वकीलों को मामले में पक्ष रखने से रोक दिया है। केंद्र आरोपी किसानों के विरूद्ध मामले लड़ने के लिए केजरीवाल सरकार पर राज्य के वकीलों की जगह अपने वकीलों की सेवाएं लेने का दबाव बना रहा है।’’

उसने कहा था कि केजरीवाल सरकार ने किसानों के खिलाफ मामलों की ‘‘निष्पक्ष’’ सुनवाई के लिए वकीलों की समिति बनाई थी।

वक्तव्य में कहा गया, ‘‘मामलों की जांच कर रही दिल्ली पुलिस अपने वकीलों की समिति को नियुक्त करना चाहती है। कानून मंत्री सत्येंद्र जैन ने दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है लेकिन एलजी ने दिल्ली सरकार पर दबाव बनाया है कि वह मंत्रिमंडल की बैठक बुलाए और दिल्ली पुलिस के वकीलों की समिति के बारे में फैसला ले।’’

इसमें दावा किया गया कि जैन के साथ ऑनलाइन बैठक में उपराज्यपाल ने यह माना था कि दिल्ली सरकार के लोक अभियोजक अच्छा काम कर रहे हैं और मामलों को ठीक तरह से लड़ रहे हैं।

गणतंत्र दिवस हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने 40 से अधिक मामले दर्ज किए थे।

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