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ई्-कचरे का वैज्ञानिक निस्तारण सुनिश्चित हो, पर्यावरण संबंधी अपराध हमले जितना ही गंभीर: एनजीटी

By भाषा | Updated: January 18, 2021 19:26 IST

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नयी दिल्ली, 18 जनवरी राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सोमवार को सीपीसीबी को ई-कचरे का वैज्ञानिक प्रबंधन सुनिश्चित करने का निर्देश देते हुए कहा कि पर्यावरण से जुड़े अपराध, हमले जितने ही गंभीर हैं और इस मुद्दे में शासन की नाकामी है।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ई-कचरा नियमों के अनुपालन में भारी कमी और उच्च प्राधिकारियों को नागरिकों की स्थिति के बारे में पर्याप्त चिंता नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) एवं अन्य की रिपोर्ट समस्या की भयावहता दर्शाती है। नियमों के अनुपालन में भारी कमी है, जिनका अनुपालन से अधिक उल्लंघन हो रहा है जिससे उन अधिकारियों की छवि खराब होती है जिन पर प्रदूषण मुक्त वातावरण सुनिश्चित करने का दायित्व है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘विषय पर शासन की स्पष्ट कमी है और उच्च अधिकारियों को इस तरह के गंभीर उल्लंघनों के कारण नागरिकों के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रतिकूल प्रभावों की पर्याप्त चिंता नहीं है।’’

अधिकरण ने कहा कि पर्यावरण से संबंधित अपराध उतने ही गंभीर हैं, जितने हमले के अपराध हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।

एनजीटी ने कहा कि समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है लेकिन जब तक उच्च स्तर पर निगरानी नहीं होती है और नेतृत्व प्रदान नहीं किया जाता है, तब तक मामले को निचले स्तर पर छोड़ने या कागजी निर्देश जारी करने से स्थिति में सुधार नहीं हो सकता।

पीठ ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से, ऐसा प्रतीत होता है कि पर्यावरण कानून का उल्लंघन प्राथमिकता नहीं है। इस तरह की उपेक्षा बहुत महंगी साबित हो सकती है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘मामूली लाभ के लिए गरीब श्रमिक वर्ग बिजली के तार या अन्य कचरे को जलाने में लगा हुआ है जिससे न केवल उनके बल्कि अन्य के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंच रहा है। इसे जागरुकता उत्पन्न करके सही तरीके से रोका नहीं जा रहा है।’’

अधिकरण ने कहा कि सीपीसीबी को कम से कम छह महीने में एक बार स्थिति को अद्यतन करने और प्राप्त रिपोर्टों के आलोक में उचित निर्देश जारी करने की आवश्यकता है।

पीठ ने कहा, ‘‘सीपीसीबी नियम 16 ​​के अनुपालन के लिए कदम उठा सकता है, जिसमें बिजली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और उनके घटकों या पुर्जों के निर्माण में खतरनाक पदार्थों के उपयोग में कमी आवश्यक होती है।’’

अधिकरण ने ई-कचरे के अवैज्ञानिक तरीके से संभालने के कारण आवासीय क्षेत्रों में बड़ी संख्या में होने वाली दुर्घटनाओं पर संज्ञान लिया।

पीठ ने कहा, ‘‘इस तरह के स्थानों में निरंतर सतर्कता के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके लिए सीपीसीबी द्वारा ई-कचरे के लिए वर्तमान मानदंडों की समीक्षा और उन्हें अद्यतन करने की भी आवश्यकता है, जो कि तीन महीने के भीतर किया जा सकता है।’’

एनजीटी ने उत्तर प्रदेश राज्य के लिए गठित निगरानी समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि वह उपचार, भंडारण और निपटारे की सुविधाओं की स्थापना सुनिश्चित करे।

पीठ ने कहा, ‘‘रामगंगा के तट पर ई-कचरे को पर्यावरण की दृष्टि से उचित रूप से स्थानांतरित किया जा सकता है। रामगंगा नदी के तट को साफ किया जाना चाहिए और ई-कचरे / काले पाउडर की गाद जमा नहीं होना चाहिए।’’

राष्ट्रीय राजधानी के संबंध में एनजीटी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को ई-कचरा प्रबंधन के लिए दिल्ली पुलिस और पूर्वी दिल्ली नगर निगम सहित संबंधित प्राधिकरणों के साथ समन्वय में आगे के प्रयासों को जारी रखने का निर्देश दिया।

अधिकरण ई-कचरे के अवैज्ञानिक निपटारे के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवायी कर रहा था जिसके परिणामस्वरूप भूजल दूषित होने के साथ ही मिट्टी अम्लीय हो रही है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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