मुंबई, नौ अप्रैल एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले की सुनवायी कर रही मुंबई की एक विशेष एनआईए अदालत ने बचाव पक्ष के एक वकील से सवाल किया कि उन्हें एक डिजिटल फोरेंसिक कंपनी की वह रिपोर्ट कैसे मिली जिसमें दावा किया गया है कि अभियोजन द्वारा पेश सबूत आरोपियों में से एक का कंप्यूटर हैक होने के बाद डाले गए थे।
अदालत ने बृहस्पतिवार को यह स्पष्टीकरण मांगा।
कंपनी ‘आर्सेनल कंसल्टिंग’ की रिपोर्ट विशेष अदालत को संबोधित थी। हालांकि, अदालत ने कहा कि उसे यह अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।
मामले में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बडे की विधिक टीम ने हाल ही में उनकी जमानत के लिए जिरह करते हुए रिपोर्ट अदालत में पेश की थी।
उसने कहा, ‘‘शेरिस्तेदार (अदालत के एक अधिकारी) से जांच के बाद बताया गया है कि अदालत को ऐसी कोई रिपोर्ट (उसे संबोधित) नहीं मिली है।’’
अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि किसी भी समय, एजेंसी अर्थात ‘आर्सेनल कंसल्टिंग’ को इस अदालत द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए नहीं कहा गया था। अदालत ने अपने नोट में यह कहा जो शुक्रवार को उपलब्ध हुई।
अदालत ने तब पूछा कि जब उसे संबोधित उस रिपोर्ट की प्रति उसे अभी तक प्राप्त नहीं हुई है, तो बचाव पक्ष के वकीलों वह कैसे मिल गई।
अदालत ने तेलतुम्बडे के वकील से स्पष्ट करने के लिए कहा कि उन्हें दस्तावेज कैसे मिला।
इस बीच, विशेष सरकारी अधिवक्ता प्रकाश शेट्टी ने बचाव द्वारा तेलतुम्बडे के लिए जमानत का अनुरोध करते हुए संबंधित रिपोर्ट पर भरोसा किये जाने पर आपत्ति जतायी।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), ने बृहस्पतिवार को अपना जवाब प्रस्तुत किया। उसने कहा, ‘‘रिपोर्ट की प्रामाणिकता एक सवाल बनी हुई है। इसे इस स्तर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। सुनवायी के दौरान इसका परीक्षण किया जाना है।’’
आर्सेनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन के लैपटॉप और थंब ड्राइव के साथ 22 महीने तक एक अटैकर द्वारा छेड़छाड़ की गई थी। बाद में उसे पुणे पुलिस ने जब्त कर लिया था।
इसने आगे दावा किया कि अटैकर ने एक माल्वेयर का उपयोग करके कथित पत्रों को लैपटॉप प्लांट किया था जिसके बारे में विल्सन को नहीं पता था। इसके आधार पर आरोपी रोना विल्सन और अन्य लोगों पर आरोप लगाये गए।
इस साल जनवरी में, तेलतुम्बडे ने विशेष अदालत में जमानत याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि उनके खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला है और अभियोजन का यह सिद्धांत कि वह अन्य को सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए भड़का रहा था, पूरी तरह से गलत है।
जांच एजेंसी ने उसकी जमानत का विरोध करते हुए कहा है कि यह कहना बिल्कुल "गलत" है कि आरोपियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।
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