लाइव न्यूज़ :

एल्गार परिषद मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुधा भारद्वाज को जमानत दी, आठ अन्य आरोपियों को जमानत देने से इनकार किया

By विशाल कुमार | Updated: December 1, 2021 12:40 IST

हाईकोर्ट ने निश्चित अवधि में आरोपपत्र दाखिल नहीं होने के आधार पर ही आठ अन्य आरोपियों की जमानत अर्जियां खारिज कर दी। इसमें सुधीर धवले, महेश राउत, वर्नन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा, रोना विल्सन, शोमा सेन, सुरेंद्र गाडलिंग और वरवरा राव शामिल हैं।

Open in App
ठळक मुद्देनिश्चित अवधि में आरोपपत्र दाखिल नहीं होने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुधा भारद्वाज को जमानत दी।एनआईए की विशेष अदालत सुधा भारद्वाज की जमानत की शर्तें तय करेगी।ईकोर्ट ने आठ अन्य आरोपियों की जमानत अर्जियां खारिज कर दी।

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एल्गार परिषद माओवादी संबंध मामले में वकील सुधा भारद्वाज को बुधवार को जमानत प्रदान कर दी। अदालत ने भारद्वाज को इस आधार पर जमानत प्रदान कि उनके खिलाफ निश्चित अवधि में आरोपपत्र दाखिल नहीं हुआ इसलिए वह जमानत की हकदार हैं।

हालांकि, हाईकोर्ट ने निश्चित अवधि में आरोपपत्र दाखिल नहीं होने के आधार पर ही आठ अन्य आरोपियों की जमानत अर्जियां खारिज कर दी। इसमें सुधीर धवले, महेश राउत, वर्नन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा, रोना विल्सन, शोमा सेन, सुरेंद्र गाडलिंग और वरवरा राव शामिल हैं।

जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जामदार की पीठ ने इसके साथ ही निर्देश दिया कि भारद्वाज को शहर की राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत में पेश किया जाए, जो उनकी जमानत की शर्तें तय करेगी और मुंबई के भायकला महिला कारागार से रिहायी को अंतिम रूप देगी।

भारद्वाज वर्ष 2018 में गिरफ्तारी के बाद से विचाराधीन कैदी के तौर पर कारागार में बंद हैं। 

भारद्वाज के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता युग चौधरी ने इससे पहले हाईकोर्ट को बताया कि पुणे पुलिस द्वारा दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान लेने वाले और भारद्वाज एवं सात अन्य आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने वाले जस्टिस केडी वदने एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हैं। 

चौधरी ने हाईकोर्ट को बताया था कि वदने ने अदालती आदेश पर एक विशेष न्यायाधीश के तौर पर हस्ताक्षर किए जबकि वह एक विशेष न्यायाधीश नहीं थे।

एनआईए ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह के माध्यम से जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि मामले में आरोप पत्र दायर करने के लिए एक ट्रायल कोर्ट द्वारा 2018 में पुणे पुलिस को 90 दिनों का विस्तार दिया गया, जिससे आरोपी के अधिकारों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा।

जस्टिस शिंदे के नेतृत्व वाली हाईकोर्ट की पीठ ने भारद्वाज की अर्जी पर इस साल चार अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

टॅग्स :Elgar Parishadबॉम्बे हाई कोर्टBombay High CourtRona WilsonVaravara Rao
Open in App

संबंधित खबरें

भारतMaharashtra Civic Poll 2025 UPDATE: पूरे राज्य में मतगणना स्थगित, 21 दिसंबर को नए नतीजे की तारीख तय, सीएम फडणवीस ‘त्रुटिपूर्ण’ प्रक्रिया पर जताई नाराजगी

भारततो मैं सुसाइड कर लूंगी?, आखिर पत्नी क्यों दे रही बार-बार धमकी, बंबई उच्च न्यायालय ने कहा-क्रूरता के समान, अलग-अलग रह रहे हैं और न ही मेल-मिलाप संभव हुआ...

भारतआज के युग-परवरिश में कुछ गड़बड़, बेटा अपने बुजुर्ग माता-पिता को श्रवण कुमार की तरह तीर्थयात्रा पर ले जाने के बजाय अदालत में घसीट रहा?, बंबई उच्च न्यायालय ने पुत्र को नहीं दी राहत?

भारतजून 2025 से अब तक 6 माह की आयु तक के 65 शिशुओं की कुपोषण से मौत?, मुंबई उच्च न्यायालय ने कहा- आदिवासी बहुल मेलघाट में स्थिति क्यों भयावह, सरकार कहां हैं?

क्राइम अलर्ट17 वर्षीय लड़की के साथ सहमति से संबंध, बच्चा भी हुआ?, 18 साल होने पर की शादी?, उच्च न्यायालय ने कहा-तब भी पॉक्सो अधिनियम केस चलेगा!

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई