Election Exit Poll Result 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के सात चरणों में संपन्न हुए मतदान के बाद आज कई मीडिया संस्थानों के एग्जिट पोल नतीजे सामने आ रहे हैं। चुनाव के संभावित परिणामों की ओर इशारा करने वाले इन एक्जिट पोल में बंगाल से बेहद चौकाने वाले खबर आ रही है।
जी हां, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में जबरदस्त प्रदर्शन करने वाली भाजपा इस बार पहले की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। साल 2019 में बंगाल की 42 सीटों में से भाजपा ने 18 सीटें जीती थी। वहीं सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने 22 सीटें जीती थी।
समाचार वेबसाइट एनडीटीवी के अनुसार राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए इससे भी बड़ा झटका क्या होगा कि कम से कम चार एग्जिट पोल में यह संभावित तथ्य सामने आ रहे हैं कि लोकसभा सीटों के मामले में भाजपा अब तृणमूल को पछाड़ते हुए बंगाल में सबसे बड़ी पार्टी हो सकती है। जन की बात के पोल में बीजेपी को 21 से 26 सीटें और तृणमूल कांग्रेस को 16-18 सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है।
इंडिया न्यूज-डी-डायनामिक्स के लिए संख्या भाजपा के लिए 21 और तृणमूल के लिए 19 है, जबकि रिपब्लिक भारत-मैट्रिज भाजपा को 21 से 25 सीटें दे रहा है और साथ में इस बात की भविष्यवाणी कर रहा है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी 16 से 20 के बीच सिमट जाएगी।
इसके अलावा आर बांग्ला के एक सर्वेक्षण में 2019 के नतीजों के मुकाबले उलटफेर की भविष्यवाणी की गई है। आर बांग्ला के सर्वे में कहा गया है कि राज्य में भाजपा को 22 सीटें और तृणमूल को 18 सीटें मिल सकती हैं।
सभी चार सर्वेक्षण इस बात पर सहमत हैं कि कांग्रेस 2019 में अपने प्रदर्शन की बराबरी कर लेगी, जब उसने दो सीटें जीती थीं। जन की बात ने कांग्रेस के लिए 0-2 की भविष्यवाणी की है, इंडिया न्यूज़-डी-डायनामिक्स द्वारा दिया गया आंकड़ा भी 2 का है और रिपब्लिक भारत-मैट्रिज़ ने कांग्रेस के लिए 0 से 1 के बीच की भविष्यवाणी की है। वहीं आर बांग्ला पोल का कहना है कि कांग्रेस पार्टी बंगाल में अपना खाता खोलने में विफल रहेगी।
सूबे में विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस द्वारा कथित भ्रष्टाचार को उजागर किया है और पार्टी के साथ-साथ ममता बनर्जी पर मुसलमानों के तुष्टिकरण का भी आरोप लगाया है। इस साल की शुरुआत में यह एक बड़ा मुद्दा बन गया था जब बांग्लादेश सीमा के पास एक गांव संदेशखाली में कुछ महिलाओं ने तृणमूल के ताकतवर नेता शेख शाहजहां और उनके दो सहयोगियों पर उनका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। जबकि तृणमूल ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि केवल भूमि कब्ज़ा करने के "कुछ मुद्दे" थे। भाजपा इसे एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाने में कामयाब रही।