Eid-ul-Fitra 2022: न है कोई कोरोना और नहीं लगा है कोई लॉकडाउन, 4 बार पाबंदियों में बिताने के बाद अबकी बार कश्मीरी सही से मना पाएंगे ईद

By सुरेश एस डुग्गर | Published: May 2, 2022 04:20 PM2022-05-02T16:20:07+5:302022-05-02T16:29:24+5:30

Eid-ul-Fitra 2022: आपको बता दें कि इससे पहले साल 1868 में कश्मीर में प्लेग फैलने पर लोगों ने पूर्ण बंद के बीच ईद मनाई थी।

Eid-ul-Fitra 2022 no corona no lockdown after spending 4 times restrictions time Kashmiris will be able celebrate Eid properly | Eid-ul-Fitra 2022: न है कोई कोरोना और नहीं लगा है कोई लॉकडाउन, 4 बार पाबंदियों में बिताने के बाद अबकी बार कश्मीरी सही से मना पाएंगे ईद

Eid-ul-Fitra 2022: न है कोई कोरोना और नहीं लगा है कोई लॉकडाउन, 4 बार पाबंदियों में बिताने के बाद अबकी बार कश्मीरी सही से मना पाएंगे ईद

Highlightsइस साल कश्मीरी सही से ईद मना पाएंगे। इस साल न ही कोरोना है और न ही कोई लॉकडाउन लगा हुआ है। इसी तरीके से 1868 में जम्मू कश्मीर के डोगरा में पूरी बंदी लगाई गई थी।

जम्मू: इस बार कश्मीरी खुश हैं। ईद के अवसर पर कोई पाबंदियां नहीं हैं और न ही कोई लाकडाउन है। हालांकि पिछले तीन सालों के ‘लाकडाउन’ में कश्मीरियों को चौथी ईद पाबंदियों के बीच मनानी पड़ी थी। दो बार ईद सुरक्षाबलों के लॉकडाउन में मनाई गई थी और दो बार की ईद कोरोना के कारण पैदा हुई परिस्थितियों में लागू लाकडाउन में मनाई गई थी। इतना जरूर था कि महामारी के कारण कश्मीर में 153 साल में वर्ष 2021 में जुलाई महीने में तीसरा अवसर था कि ईद उल जुहा महामारी के बीच मनाया गया था।

पिछले लॉकडाउन में कश्मीरियों को मिली थी खरीदारी की इजाजत

वर्ष 2019 में पांच अगस्त को राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद के बाद लागू किए गए लॉकडाउन में ही कश्मीरियों ने तीन ईद मनाई थी। पिछली ईद के दौरान लागू लॉकडाउन में फर्क सिर्फ इतना था कि उन्हें खरीदारी करने की इजाजत जरूर मिली थी। 

जबकि इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता है कि 153 सालों में लोग तीन बार महामारी के कारण लॉकडाउन में ईद उल जुहा मनाने को मजबूर हुए थे। इससे पहले वर्ष 1868 में कश्मीर में प्लेग फैलने पर लोगों ने पूर्ण बंद के बीच ईद मनाई थी। ऐसी ही स्थिति पिछले साल दो सालों के दौरान कोरोना संक्रमण के कारण पैदा हुई थीं। 

1868 में भी भी जम्मू कश्मीर के डोगरा में पूरा बंद था

बताया जाता है कि वर्ष 1868 में जम्मू कश्मीर में डोगरा प्रशासन ने महामारी पर काबू पाने के लिए पूर्ण बंद किया गया था। इसके तहत जम्मू कश्मीर में किसी के प्रवेश या प्रस्थान पर रोक लगाई गई थी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से जारी दिशानिर्देशों पर अमल करने की हिदायत भी दी गई थी। 

इतिहासकारों के अनुसार, महामारी पर काबू पाने में डेढ़ वर्ष लगे थे और सैकड़ों लोग हताहत भी हुए थे। उस समय बंद का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती थी। किसी संक्रमित के छुपे होने पर उसे अस्पताल में भर्ती करवाया जाता था। तब प्लेग फैलने पर लोगों को अपने घरों की चाहरदीवारी के बीच ईद मनानी पड़ी थी। ईद उल जुहा के मौके पर बहुत कम लोग जानवरों की कुर्बानी दे पाए थे।

1868 में प्लेग और 1918 में कालरा ने कश्मीर में मचाई थी तबाही

कश्मीर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में तैनात एक स्कालर डार अजीज के बकौल कश्मीर में 1868 में प्लेग और 1918 में कालरा ने तांडव मचाया था। इस महामारी को हवा-ए रद्दी (दूषित हवा) नाम दिया गया था। उस समय कश्मीर की आबादी 6.5 लाख थी, लेकिन महामारी फैलने के बाद अधिकांश लोग दूसरे स्थानों पर पलायन कर गए थे, जबकि सैकड़ों इस महामारी की भेंट चढ़ गए थे। महामारी खत्म होने तक कश्मीर की आबादी 2.5 लाख रह गई थी। 

अजीज ने कहा कि 1918 में ईद उल फितर से पहले महामारी पर काबू पा लिया गया था और फिर 1918 के बाद पूरे सौ साल के बाद कश्मीर फिर से वैसी ही परिस्थितियों से गुजर चुका है। इस बार सभी प्रकार की पाबंदियों से मुक्ति पर कश्मीरियों के लिए ईद की खुशी अलग ही नजर आती थी।

Web Title: Eid-ul-Fitra 2022 no corona no lockdown after spending 4 times restrictions time Kashmiris will be able celebrate Eid properly

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