मोदी 3.0 में इन 4 बड़े बदलावों की प्रशांत किशोर ने की भविष्यवाणी, पेट्रोलियम को लेकर कही ये बात

By मनाली रस्तोगी | Published: May 22, 2024 09:39 AM2024-05-22T09:39:08+5:302024-05-22T09:39:59+5:30

राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मोदी 3.0 में केंद्र के साथ शक्ति और संसाधनों दोनों की अधिक एकाग्रता की भविष्यवाणी की।

Prashant Kishor predicts these 4 big changes in Modi 3.0 | मोदी 3.0 में इन 4 बड़े बदलावों की प्रशांत किशोर ने की भविष्यवाणी, पेट्रोलियम को लेकर कही ये बात

मोदी 3.0 में इन 4 बड़े बदलावों की प्रशांत किशोर ने की भविष्यवाणी, पेट्रोलियम को लेकर कही ये बात

Highlightsप्रशांत किशोर ने मोदी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी कहानी में संरचनात्मक और परिचालन परिवर्तन की भविष्यवाणी की।किशोर ने कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई व्यापक गुस्सा नहीं है और भाजपा लगभग 303 सीटें जीतेगी।किशोर ने कहा कि राज्यों के पास वर्तमान में राजस्व के तीन प्रमुख स्रोत पेट्रोलियम, शराब और भूमि हैं।

नई दिल्ली: राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत किशोर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में पेट्रोलियम को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत लाया जा सकता है और राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता पर महत्वपूर्ण अंकुश लग सकता है।

इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने मोदी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी कहानी में संरचनात्मक और परिचालन परिवर्तन की भविष्यवाणी की। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि मोदी 3.0 सरकार की शुरुआत धमाकेदार होगी। केंद्र के पास शक्ति और संसाधन दोनों का अधिक संकेन्द्रण होगा। राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को कम करने का भी महत्वपूर्ण प्रयास हो सकता है।"

2014 में नरेंद्र मोदी के अभियान का प्रबंधन करने वाले किशोर ने कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई व्यापक गुस्सा नहीं है और भाजपा लगभग 303 सीटें जीतेगी। किशोर ने कहा कि राज्यों के पास वर्तमान में राजस्व के तीन प्रमुख स्रोत पेट्रोलियम, शराब और भूमि हैं। प्रशांत किशोर ने कहा, ''मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर पेट्रोलियम को जीएसटी के दायरे में लाया जाए।''

इस समय पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और प्राकृतिक गैस जैसे पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। हालांकि, उनपर अभी भी वैट, केंद्रीय बिक्री कर और केंद्रीय उत्पाद शुल्क जैसे कर लगते हैं। जहां पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाना उद्योग की लंबे समय से मांग रही है, वहीं राज्य इस विचार के खिलाफ रहे हैं क्योंकि इससे राजस्व का भारी नुकसान होगा। 

पेट्रोल को जीएसटी के तहत लाने से राज्य करों का अपना हिस्सा प्राप्त करने के लिए केंद्र पर और अधिक निर्भर हो जाएंगे। इस समय जीएसटी के तहत सबसे ऊंचा टैक्स स्लैब 28 प्रतिशत है। पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन पर 100 प्रतिशत से अधिक कर लगता है।

उन्होंने ये भी भविष्यवाणी की कि केंद्र राज्यों को संसाधनों के हस्तांतरण में देरी कर सकता है और राजकोषीय जिम्मेदारी और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) मानदंडों को सख्त बना सकता है। 2003 में अधिनियमित एफआरबीएम अधिनियम, राज्यों के वार्षिक बजट घाटे पर एक सीमा लगाता है। किशोर ने भविष्यवाणी की, "केंद्र संसाधनों के हस्तांतरण में देरी कर सकता है और राज्यों की बजट से इतर उधारी सख्त कर दी जाएगी।"

किशोर ने यह भी भविष्यवाणी की कि भू-राजनीतिक मुद्दों से निपटने के दौरान भारत की मुखरता बढ़ेगी। उन्होंने कहा, "वैश्विक स्तर पर, देशों के साथ व्यवहार करते समय भारत की मुखरता बढ़ेगी। आक्रामक भारतीय कूटनीति के राजनयिकों के बीच अहंकार की सीमा तक चर्चा है।"

Web Title: Prashant Kishor predicts these 4 big changes in Modi 3.0

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