'हम चाहते हैं कि कोचिंग संस्थान न हों...',शिक्षा मंत्री ने राज्यसभा में कहा- 'कोचिंग सेंटरों से विद्यार्थियों को बाहर लाना ही होगा'

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 31, 2024 20:01 IST2024-07-31T19:59:27+5:302024-07-31T20:01:07+5:30

स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि कोचिंग सेंटरों से विद्यार्थियों को बाहर लाना ही होगा और सबके सहयोग से इसके लिए समुचित प्रयास किए जाएंगे।

Education Minister Dharmendra Pradhan said in Rajya Sabha that we do not want coaching institutes quality education in schools | 'हम चाहते हैं कि कोचिंग संस्थान न हों...',शिक्षा मंत्री ने राज्यसभा में कहा- 'कोचिंग सेंटरों से विद्यार्थियों को बाहर लाना ही होगा'

शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान

Highlightsशिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने राज्यसभा में कहा हम चाहते हैं कि कोचिंग संस्थान न होंकहा- जरूरी है कि स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई होकहा- ‘कोचिंग सेंटर न हों, इसके लिए सबका सहयोग जरूरी है

नयी दिल्ली: स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि कोचिंग सेंटरों से विद्यार्थियों को बाहर लाना ही होगा और सबके सहयोग से इसके लिए समुचित प्रयास किए जाएंगे। उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान प्रधान ने कहा कि विद्यार्थी प्रतिस्पर्धा में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कोचिंग संस्थानों की मदद लेते हैं। 

उन्होंने कहा ‘ हम चाहते हैं कि कोचिंग संस्थान न हों और इसके लिए जरूरी है कि स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई हो। सरकारी स्कूलों को बढ़ावा दिया जाए। केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय इसकी मिसाल हैं।’ पूरक प्रश्नों के जवाब में प्रधान ने कहा ‘कोचिंग सेंटर न हों, इसके लिए सबका सहयोग जरूरी है। अनेक राज्यों में पढ़ाई को लेकर बेहतर स्थान हैं। राजस्थान में सीकर ने बहुत ही बढ़िया काम अध्ययन में किया है। इसी तरह से मेहनत करनी होगी और सबका सहयोग लेकर हमें विद्यार्थियों को कोचिंग संस्थानों से बाहर लाना होगा।’

शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की संसद के प्रति जवाबदेही के बारे में प्रश्न पूछा जिसके जवाब में प्रधान ने कहा "एनटीए की संसद के प्रति जवाबदेही के बारे में सवाल पूछा गया। इस प्रश्न को पूछने की अनुमति दी गई और मैं इससे संबंधित सवाल का संसद में जवाब दे रहा हूं, यही तो संसदीय जवाबदेही है।" उन्होंने कहा कि एक निकाय कई तरह की परीक्षाएं ले सके, इसके लिए एनटीए के बारे में सोचा गया। 2017 से शुरूआत हुई और 2018 में इसने आकार लिया। 

उन्होंने कहा कि छह साल में पांच करोड़ से अधिक विद्यार्थियों ने परीक्षाएं दीं और अच्छे संस्थानों में उन्हें प्रवेश मिला। उन्होंने कहा कि ढाई सौ से अधिक परीक्षाएं हुईं। उन्होंने कहा कि महत्वाकांक्षी समाज का एक वर्ग है क्योंकि 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे और सबकी इच्छा है कि वे आगे बढ़ें। शिक्षा आगे बढ़ने का माध्यम है। प्रधान ने कहा कि जब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने तब देश में मेडिकल कालेजों में सीटों की संख्या 51,000 थी जो दस साल में बढ़ कर एक लाख दस हजार हो गई हैं। प्रधान ने कहा "सरकार सभी तरह की जवाबदेही के साथ शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जताती है। हमारी सरकार ज्यादातर जिलों में मेडिकल कालेज खोलने के लिए प्रतिबद्ध है।" 

राजद के प्रोफेसर मनोज कुमार झा ने जानना चाहा कि क्या एनटीए के कामकाज की निगरानी की कोई व्यवस्था है। प्रधान ने कहा कि एनटीए परीक्षा करवाती है और प्रश्नों के आकलन की एक व्यवस्था होती है और तय किया जाता है कि प्रश्न कैसे हों। यह आकलन समय-समय पर किया जाता है। मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षा ‘नीट’ को समाप्त करने के बारे में अन्नाद्रमुक सदस्य पी विल्सन के पूरक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा "राज्य के बोर्डों की अपनी क्षमता और व्यवस्था है। वे भी परीक्षाएं आयोजित करते हैं। उनके अपने पॉलिटेक्नीक हैं। पिछले साल ग्रामीण क्षेत्रों के कई छात्रों ने नीट की परीक्षा दी। इससे साफ है कि छात्रों ने नीट के मॉडल को स्वीकार किया है।"

(इनपुट- भाषा)
 

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