5 हजार करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आंध्रा बैंक का अफसर गिरफ्तार
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: January 13, 2018 16:12 IST2018-01-13T16:11:30+5:302018-01-13T16:12:21+5:30
अनूप प्रकाश गर्ग को शुक्रवार (11 जनवरी) को दिनभर की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया।

5 हजार करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आंध्रा बैंक का अफसर गिरफ्तार
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धनशोधन के एक मामले में कथित रूप से पांच हजार करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के सबंध में आंध्रा बैंक के एक पूर्व अधिकारी को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने शनिवार (12 जनवरी) को यह जानकारी दी। यह मामला गुजरात की दवा कंपनी स्टर्लिग बायोटेक से संबंधित है। अधिकारी ने बताया, "अनूप प्रकाश गर्ग को धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के अंतर्गत शुक्रवार (11 जनवरी) को दिनभर की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया।"
ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) ने अपने आपराधिक मामले में गर्ग का नाम आरोपी के तौर पर नामित किया था। सीबीआई की ओर से दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने इस मामले को आगे बढ़ाया था।
ईडी ने कहा कि उसने अपनी जांच में पाया कि वर्ष 2011 में आयकर विभाग की ओर से जब्त डायरी से एजेंसी को 'कुछ प्रविष्टियों' का पता चला था। इन प्रविष्टियों से पता चला था कि संदेसारा बंधुओं ने वर्ष 2008-09 के दौरान आंध्रा बैंक के निदेशक गर्ग को 1.52 करोड़ रुपये का नगद भुगतान किया था।
एजेंसी ने कहा, "संदेसारा बंधुओं के निर्देश के अनुसार गर्ग को काफी नगद भुगतान किया गया। यह भुगतान संदेसारा बंधुओं के कई बेनामी कंपनियों के बैंक खाते से किया गया।"
सीबीआई ने स्टलिर्ंग बायोटेक, उसके निदेशक चेतन जयंतीलाल संदेसारा, दीप्ति चेतन संदेसारा, राजभूषण ओमप्रकाश दीक्षित, नितिन जयंतीलाल संदेसारा और विलास जोशी सहित चार्टर्ड अकाउंटेंट हेमंत हैती, और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ कथित बैंक जालसाजी को लेकर प्राथमिकी दर्ज की थी।
सीबीआई की प्राथमिकी के अनुसार, "कंपनी ने आंध्रा बैंक से जुड़े एक कंसोर्टियम से 5,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया, जो बाद में एनपीए में बदल गया। प्राथमिकी के अनुसार, 31 दिसंबर, 2016 को कंपनी पर बैंक का कुल 5,383 करोड़ रुपये उधार थे।"