मोदी सरकार की थालीनॉमिक्स, मांसाहारी भोजन करने वाले कर रहे हैं 11 हजार से ज्यादा बचत, जानें शाकाहारियों का हाल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 31, 2020 04:14 PM2020-01-31T16:14:10+5:302020-01-31T16:23:29+5:30

Economic Survey 2020: 2006-2007 की तुलना में 2019-20 में शाहाकारी भोजन की थाली 29 फीसदी सस्ती हुई है.

economic survey 2020 thalinomics non vegetarian eating families are saving more than rs 11700 every year | मोदी सरकार की थालीनॉमिक्स, मांसाहारी भोजन करने वाले कर रहे हैं 11 हजार से ज्यादा बचत, जानें शाकाहारियों का हाल

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsथालीनॉमिक्स: भारत में भोजन की थाली का अर्थशास्त्र का जिक्र आर्थिक समीक्षा में किया गया है.शाकाहारी भोजन करने वाले परिवार हर साल 10887 रुपये बचा रहा है.

संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू हो चुका है। एक फरवरी 2020 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। वित्त मंत्री ने आज आर्थिक समीक्षा पेश किया जिसमें पहली बार थालीनॉमिक्स का जिक्र किया गया। आर्थिक समीक्षा के खंड एक के 11वें अध्याय में थालीनॉमिक्स का जिक्र किया गया है। इसके अनुसार  अब औद्योगिक श्रमिकों की दैनिक आमदनी के मुकाबले खाने की थाली सस्‍ती हो गई है।

थालीनॉमिक्स: भारत में भोजन की थाली का अर्थशास्त्र, यहां पढ़ें

वित्त मंत्री सीतारामण ने कहा कि 2006-2007 की तुलना में 2019-20 में शाहाकारी भोजन की थाली 29 फीसदी और मांसाहारी भोजन की थाली 18 फीसदी सस्‍ती हुई हैं। आर्थिक समीक्षा में 25 राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों के 80 केन्द्रों के अप्रैल 2006 से लेकर अक्टूबर 2019 तक के औद्योगिक कर्मचारियों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े जुटाये गये। इन्हीं आंकड़ों के विश्लेषण से ‘‘थाली’’ का मूल्य और उसकी सुलभता तय की गई है। समीक्षा के अनुसार शाकाहारी थाली में अनाज, सब्जी और दाल शामिल है जबकि मांसाहारी थाली में अनाज के साथ ही सब्जी और कोई एक मांसाहारी खाद्य पदार्थ शामिल किया गया है। 

इसमें कहा गया है, ‘‘देशभर में और देश के चारों क्षेत्रों उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम -- में यह देखा गया है कि 2015- 16 के बाद से शाकाहारी थाली का दाम उल्लेखनीय रूप से कम हुआ है। हालांकि, 2019 में दाम कुछ बढ़े हैं।’’ समीक्षा के मुताबिक दाम कम होने से दिन में दो थाली खाने वाले औसतन पांच व्यक्तियों के आम परिवारों को हर साल करीब 10,887 रुपये का फायदा हुआ जबकि मांसाहार खाने वाले परिवार को हर साल औसतन 11,787 रुपये का लाभ हुआ। इसमें कहा गया है कि औसत औद्योगिक श्रमिकों की सालाना कमाई को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2006-07 से 2019- 20 के बीच शाकाहारी थाली खरीदने की उसकी क्षमता 29 प्रतिशत बेहतर हुई और मांसाहारी थाली खरीदने की क्षमता 18 प्रतिशत सुधरी है। 

समीक्षा में दावा किया गया है कि 2015- 16 को वह साल माना जा सकता जब से थाली के दाम में गुणात्मक बदलाव आना शुरू हुआ। वर्ष 2014- 15 से ही कृषि क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाने के लिये कई क्षेत्रों में सुधार उपायों की शुरुआत की गई। समीक्षा के अनुसार बेहतर और अधिक पारदर्शी मूल्य खोज के लिये कृषि बाजार की दक्षता और प्रभावशीलता बढ़ाने के उपायों की भी जरूरत है। 

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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