ब्लैकहोल के करीब पहुंची हमारी पृथ्वी! जापानी शोधकर्ताओं ने किया खुलासा, जानिए क्या खतरे में है दुनिया

By विनीत कुमार | Updated: November 28, 2020 13:55 IST2020-11-28T13:49:29+5:302020-11-28T13:55:45+5:30

जापान के वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है हमारी पृथ्वी मिल्की वे के केंद्र में मौजूद एक सुपरमैसिव ब्लैक होल के और करीब पहुंच गई है। हाल ही में इस ब्लैक होल की खोज भी की गई थी।

Earth getting closer 2,000 light years to supermassive black hole at center of Milky way our galaxy | ब्लैकहोल के करीब पहुंची हमारी पृथ्वी! जापानी शोधकर्ताओं ने किया खुलासा, जानिए क्या खतरे में है दुनिया

मिल्की वे के केंद्र में मौजूद ब्लैक होल के करीब पहुंची पृथ्वी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsवैज्ञानिकों के अनुसार हमारी गैलेक्सी मिल्की वे के केंद्र में मौजूद है ये सुपरमैसिव ब्लैक होलहमारा सौर मंडल मिल्की वे के केंद्र के चारों ओर अपनी कक्षा में चक्कर काटता है, इस गति में भी तेजी आई है

जापान के अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने मिल्की वे का एक नया मैप जारी किया है जिसमें दावा किया गया है कि पृथ्वी एक विशाल ब्लैक होल के 2000 प्रकाश वर्ष और करीब आ गई है। इस नक्शे में बताया गया है कि हमारी गैलेक्सी (आकाशगंगा) मिल्कीवे का केंद्र और जहां एक ब्लैक होल भी है, उसकी दूरी पृथ्वी से 25,800 प्रकाश वर्ष रह गई है। 

नेशनल ऑबजर्वेट्री ऑफ जापान के अनुसार 1985 में इंटरनेशनल एस्ट्रॉनॉमिकल यूनियन द्वारा गैलेक्सी के केंद्र से पृथ्वी की अनुमानित दूरी 27,700 प्रकाश वर्ष बताई गई थी। इस लिहाज से पता चलता है कि ब्लैक होल से पृथ्वी की दूरी में और कमी आ गई है। हालांकि, इसे लेकर फिलहाल किसी खतरे की गुंजाइश नहीं है।

सौर मंडल के घूमने की गति भी हुई तेज

इसके अलावा ये बात भी सामने आई है कि हमारा सौर मंडल मिल्की वे के केंद्र के चारों ओर अपनी कक्षा में 227 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से घूम रहा है। ये गति भी पूर्व में ज्ञात 220 किलोमीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से ज्यादा है।

नेशनल ऑबजर्वेट्री ऑफ जापान के अनुसार पिछले 15 सालों से जापान के रेडियो एस्ट्रोनॉमी प्रोजेक्ट VERA के विश्लेषण के आधार पर ये नतीजे निकाले गए हैं। ये डाटा गुरुवार को जारी किए गए। 

हमारी पृथ्वी मिल्की वे के अंदर मौजूद है और वैज्ञानिक लंबे समय से इसके आकार को लेकर शोध कर रहे हैं। हालांकि ये बहुत मुश्किल कार्य है। दरअसल, मिल्की वे के बाहर जाने के बाद इसकी सही तस्वीर मिल सकती है। हालांकि, इससे बाहर निकलने की क्षमता अभी इंसान में नहीं है। 

ऐसे में वैज्ञानिक तारों, ग्रहों की स्थिति, आकार, उनके घूमने की स्पीड वगैरह से आकाशगंगा के आकार और इसमें पृथ्वी की जगह को लेकर अंदाजा लगाने की कोशिश करते हैं। मौजूदा जानकारी के अनुसार मिल्की वे गोलाकार रूप में है। इसका व्यास 2 लाख प्रकाश वर्ष है। मिल्की वे में 400 अरब तारे हो सकते हैं।

सूर्य से 42 लाख गुना बड़ा है ब्लैक होल

आकाशगंगा के जिस सुपमैसिव ब्लैक होल की हम बात कर रहे हैं, उसे लेकर वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये सूर्य से 42 लाख गुना आकार में बड़ा है। इसे Sagittarius A* या Sgr A* नाम दिया गया है। इसी साल रिचर्ड गेंजेल और आंद्रिया गेंजेल को इससे संबंधित खोज के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया है।

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस ब्रह्मांड में कई तरह के ब्लैक होल हैं। हालांकि सुपरमैसिव ब्लैक होल से गैलेक्सी के बनने का संबंध हो सकता है, क्योंकि वे ज्यादातर किसी विशाल तारों के सिस्टम के केंद्र में ही मिले हैं। वैसे इसे लेकर अभी भी ठीक-ठीक ज्ञात नहीं है कि कैसे और कौन पहले बना। 

Web Title: Earth getting closer 2,000 light years to supermassive black hole at center of Milky way our galaxy

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे