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10 महीने में 'जननायक' दुष्यंत चौटाला कैसे बने हरियाणा के किंगमेकर, कांग्रेस-बीजेपी के समर्थन पर अभी नहीं खोले पत्ते

By अजीत कुमार सिंह | Updated: October 24, 2019 18:07 IST

दुष्यंत चौटाला पूर्व सांसद डॉ. अजय सिंह चौटाला और डबवाली से विधायिक नैना सिंह के बड़े बेटे है. दुष्यंत चौटाला 2014 में जब एमपी बने तो उनकी उम्र मात्र 25 साल थी.

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ठळक मुद्देदुष्यंत चौटाला खुद को किसान नेता और उप प्रधानमंत्री देवीलाल की राजनीतिक विरासत का सबसे बड़ा दावेदार बताते हैं.31 वर्षीय दुष्यंत चौटाला का जन्म हिसार में 3 अप्रैल 1988 को हुआ था.

जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नेता दुष्यंत चौटाला ने राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में सरकार गठन के लिए भाजपा या कांग्रेस को समर्थन देने के मुद्दे पर अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं.  हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को जारी मतगणना के शुरुआती रुझानों/नतीजों में सत्तारूढ़ भाजपा या विपक्षी कांग्रेस में से कोई भी अपने दम पर राज्य में सरकार बनाती प्रतीत नहीं हो रही है. रुझानों/नतीजों में दस महीने पुरानी जेजेपी कम से कम 10 सीटों पर आगे है जिससे लग रहा है कि पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला ‘किंगमेकर’ की भूमिका में होंगे.

चौटाला ने कहा, ‘‘यह (मनोहर लाल) खट्टर सरकार के खिलाफ जबरदस्त सत्ता विरोधी लहर है.’’ यह पूछे जाने पर कि उनकी पार्टी भाजपा को समर्थन देगी या कांग्रेस को, चौटाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा. पहले हम अपने विधायकों की बैठक बुलाएंगे, फैसला करेंगे कि सदन में हमारा नेता कौन होगा और फिर इस पर आगे सोचेंगे.’’ लेकिन उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हरियाणा के लोग बदलाव चाहते हैं.’’

पढ़िए दुष्यंत चौटाला का सियासी सफर

कांउटिंग शुरू होने से पहले जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटला ने दावा किया कि सरकार की चाभी उनके पास है इससे बस एक दिन पहले ही दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि किसान-कमेरे का काफिला चंडीगढ़ चल दिया. कौन हैं दुष्यंत चौटाला जो सकार की चाभी रखने के दावे कर रहे हैं. आईए आज जानते हैं जेजेपी के दुष्यंत चौटाला की कहानी.

एक वक्त था जब हरियाणा की राजनीति में चौटाला परिवार का कभी डंका बजता था, वो परिवार टूट गया,  आईएनएलडी टूट गई. आईएनएलडी से अलग होकर केवल 22 दिन बाद 9 दिसम्बर 2018  चौधरी देवीलाल के परपोते दुष्यंत चौटाला ने अपनी अलग पार्टी , जननायक जनता पार्टी बनाने का एलान कर दिया. नई नवेली पार्टी ने दुष्यंत को सीएम के तौर पर पेश किया.

जेजेपी के जन्म से पहले आईएनएलडी में खुद को दुष्यंत और उनके भाई दिग्विजय नई पीढ़ी के नेता के तौर पर पेश कर रहे थे. दोनों भाईयों के इन दावों से पार्टी का एक धड़ा खुश नहीं था. मौका मिलते ही अजय सिंह चौटाला, दुष्यंत और दिग्विजय को आईएनएलडी से बाहर कर दिया गया. दोनों पर देवीलाल के जन्म दिन उत्सव के दौरान गोहाना रैली में अनुशासनहीनता और पार्टी के खिलाफ नारेबाजी कराने के आरोप लगे थे. आरोप लगाते हुए कहा गया कि  दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय सिंह चौटाला ने अपने चाचा अभय चौटाला के खिलाफ नारेबाजी करवाई.

इस सारी बगावत की वजह  अजय चौटाला का पुत्रमोह था. अजय चौटाला चाहते थे कि उनके बेटे और हिसार से सांसद दुष्यंत को सीएम उम्मीदवार के रुप में प्रोजेक्ट किया जाए. जबकि अभय चौटाला इस पर बिल्कुल तैयार नहीं थे.

दुष्यंत चौटाला पूर्व सांसद डॉ. अजय सिंह चौटाला और डबवाली से विधायिक नैना सिंह के बड़े बेटे है. दुष्यंत चौटाला 2014 में जब एमपी बने तो उनकी उम्र मात्र 25 साल थी. दुष्यंत अपने परिवार की चौथी पीढ़ी के नेता हैं. हरियाणा के युवाओं ठीकठाक पकड़ है, कुशल वक्ता हैं, संसद  सत्र में बोलते हैं. दुष्यंत चौटाला खुद को किसान नेता और उप प्रधानमंत्री देवीलाल की राजनीतिक विरासत का सबसे बड़ा दावेदार बताते हैं.

हिसार में पैदा हुए दुष्यंत कभी खेल के मैदान में तो कभी टेंपो में दिख जाते है. 21 अक्टूबर 2019 को विधानसभा चुनाव में वोट देने भी दुष्यंत अपने परिवार के संग ट्रैक्टर पर सवार होकर पहुंचे थे. इतना ही नहीं एक बार संसद ट्रैक्टर लेकर पहुंच गए थे. दुष्यंत चौटाला सोशल मीडिया पर खासे पॉपुलर हैं..उनके फेसबुक पर  7 लाख 65 हजार जबकि ट्विटर पर एक लाख 7 हजार से अधिक फॉलोअर हैं.

31 वर्षीय दुष्यंत चौटाला का जन्म हिसार में 3 अप्रैल 1988 को हुआ था. हिसार के ही सेंट मैरी स्कूल से दुष्यंत ने अपनी शुरूआती पढ़ाई की. इसके आगे दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई के लिए लॉरेंस स्कूल, सनावर हिमाचल प्रदेश चले गए. स्कूल में दुष्यंत ने बाक्सिंग में गोल्ड मेडल जीता. इसके अलावा स्कूल की बॉस्केटबॉल टीम की कप्तान भी रहे. यहां तक कि लॉरेंस स्कूल की हॉकी टीम के गोलकीपर भी दुष्यंत चौटाला थे. दुष्यंत ने कैलीफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ साईंस इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री भी ली है.

चुनावी राजनीति में दुष्यंत ने तब पहली बार हाथ आजमाया जब उनके पिता डॉ. अजय सिंह चौटाला जब 2009 में भिवानी-महेन्द्रगढ़ लोकसभा का चुनाव लड़ा. उस समय दुष्यंत ने बतौर प्रभारी पूरे महेन्द्रगढ़ जिले की कमान संभाली और श्रुति चौधरी के मुकाबले डॉ. अजय चौटाला को 50 हजार से अधिक वोटों की लीड दिलाई.

दुष्यंत को पीजी डिग्री के लिए 27 जनवरी 2013 को अमेरिका जाने वाले थे. तभी 16 जनवरी को जूनियर बेसिक ट्रेनिंग टीचर्स भर्ती घोटाले में ओमप्रकाश चौटाला और अजय चौटाला गिरफ्तार हो गए. इस गिरफ्तारी ने दुष्यंत की जिंदगी बदल दी..वो आगे की पढ़ाई के लिए विदेश नहीं जा सके . नेता तो उन्हें बनना ही था लेकिन वो समय थोड़ा पहले आ गया . इन हालात में दुष्यंत को सियासत में कूदना पड़ा.

2019 के विधान सभा चुनावों में दुष्यंत चौटाला उचांना कलां विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े. वहीं दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजीपी ने 35 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था. देखना ये है कि 31 साल का ये नेता सत्ता की जिस चाबी के दावे कर रहा वो नई पार्टी को किन उंचाईयों तक ले जाता है. सत्ता की चाबी हाथ में होने के दावे कर रहे दुष्यंत चौटाला की पार्टी का चुनाव चिन्ह भी चाबी ही है.

टॅग्स :हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019दुष्यंत चौटालाअसेंबली इलेक्शन 2019हरियाणा
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