'ड्रग्स: तीन साल से अधिक सज़ा के मामलों में मजिस्ट्रेट अदालत को जमानत पर सुनवाई का अधिकार नहीं’

By भाषा | Updated: October 9, 2021 22:23 IST2021-10-09T22:23:47+5:302021-10-09T22:23:47+5:30

'Drugs: Magistrate court has no right to hear bail in cases of punishment of more than three years' | 'ड्रग्स: तीन साल से अधिक सज़ा के मामलों में मजिस्ट्रेट अदालत को जमानत पर सुनवाई का अधिकार नहीं’

'ड्रग्स: तीन साल से अधिक सज़ा के मामलों में मजिस्ट्रेट अदालत को जमानत पर सुनवाई का अधिकार नहीं’

मुंबई, नौ अक्टूबर एनडीपीएस कानून के तहत जिस अपराध के लिए तीन साल से अधिक की सज़ा का प्रावधान है, उस मामले में मजिस्ट्रेट अदालत के पास जमानत आवेदन पर विचार करने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि मामले पर विशेष अदालत सुनवाई करेगी। यह बात क्रूज़ जहाज पर छापेमारी में मादक पदार्थ मिलने के मामले में गिरफ्तार आर्यन खान और दो अन्य की जमानत अर्जी खारिज करते हुए अदालत के आदेश में कही गई है।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) आर एम नर्लिकर ने शुक्रवार को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। शनिवार को उपलब्ध हुए 15-पन्ने के आदेश में, एसीएमएम ने कहा कि यह अदालत धारा 36ए और इस तथ्य पर विचार करते हुए जमानत आवदेन पर विचार करने के अपने अधिकार को छोड़ती है कि तीनों को एनडीपीएस कानून की विभिन्न धाराओं के तहत एक अपराध के लिए गिरफ्तार किया गया है, जिनमें तीन साल से अधिक की सज़ा का प्रावधान है।

उन्होंने अपने आदेश में कहा कि सभी कथित अपराधों की सुनवाई विशेष अदालत द्वारा की जाएगी।

बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान, अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा को तीन अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले मुंबई अपतटीय क्षेत्र में क्रूज़ जहाज से कथित रूप से प्रतिबंधित नशीले पदार्थ जब्त किए गए थे।

उनके खिलाफ एनडीपीएस कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है और वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। इस मामले में स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) अबतक 18 लोगों को गिरफ्तार कर चुका है।

एसीएमएम की अदालत ने कहा कि जांच में पता चला है कि सभी आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप सेवन, बिक्री और खरीद के संबंध में हैं, साथ ही मादक पदार्थ और नशीले पदार्थों को कथित तौर पर व्यावसायिक मात्रा में जब्त किया गया है, जिसके लिए तीन साल से अधिक की सज़ा निर्धारित है।

आरोपियों की जमानत के लिए बहस करने वाले वकीलों ने पहले के विभिन्न आदेशों का हवाला दिया है।

एसीएमएम ने कहा, “वे सभी सत्र न्यायालय और उच्च न्यायालय की शक्तियों से संबंधित हैं। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, आरोपियों द्वारा दायर जमानत आवेदन इस अदालत के समक्ष विचारणीय नहीं हैं। इसे खारिज करने की जरूरत है।”

जब मामला शुक्रवार को सुनवाई के लिए आया, तो अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने जमानत याचिकाओं को चुनौती देते हुए दावा किया था कि इस मामले में इस तरह के आवेदनों पर सुनवाई का मजिस्ट्रेट अदालत को अधिकार नहीं है।

एक वकील ने कहा कि खान, मर्चेंट और धमेचा सोमवार को जमानत के लिए सत्र अदालत का रुख कर सकते हैं। इस बीच, मजिस्ट्रेट अदालत ने शनिवार को खान और मर्चेंट के बयान के आधार पर अचित कुमार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। एनसीबी ने दावा किया है कि कुमार इन दोनों को मादक पदार्थ की आपूर्ति करता था।

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Web Title: 'Drugs: Magistrate court has no right to hear bail in cases of punishment of more than three years'

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