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कराने गया था इलाज, डॉक्टर ने ऑपरेशन का कहकर निकाल ली चुपके से किडनी

By रामदीप मिश्रा | Updated: January 17, 2018 10:22 IST

शत्रुघ्न साहू ने कहा कि अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद उसे ऑपरेशन संबंधी कोई कागज नहीं दिया गया। सिर्फ एक डिस्चार्ज लेटर दिया गया।

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छत्तीसगढ़ की इस्पात नगरी में शास्त्री चौक के पास काली मंदिर के पीछे रहने वाला शत्रुघ्न साहू डॉक्टर के पास पैर की टीबिया हड्डी की बीमारी का इलाज कराने गया था। डॉक्टर ने कहा कि 'ऑपरेशन कराना पड़ेगा, अम्बे हॉस्पिटल में भर्ती हो जाओ।' अस्पताल में 'दूसरे भगवान' का ईमान डोल गया। उसने गरीब का गुर्दा बड़ी सफाई से निकाल लिया।  यह मामला है तो वर्ष 2011 का, लेकिन पीड़ित को जब पता चला कि शहर में नए एसपी आए हैं, जो ईमानदार हैं, तब उसने हिम्मत बटोरकर सात साल बाद दुर्ग के नए पुलिस अधीक्षक डॉ. संजीव शुक्ला से इसकी शिकायत की। वह इतने दिन क्यों चुप रहा, यह पूछे जाने पर उसने बताया कि डॉक्टर के पालतू गुर्गों ने उसे जान से मारने की धमकी दी थी। नए एसपी ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। 

एसपी डॉ. शुक्ला ने बताया कि कैम्प-1 शास्त्री चौक के पास काली मंदिर के पीछे रहने वाले शत्रुघ्न साहू ने अपने शिकायती पत्र में कहा है कि टीबिया बोन की तकलीफ होने पर वह इलाज के लिए डॉ. पार्वती कश्यप के पास गया था। डॉ. कश्यप ने उसे डॉ. अखिलेश यादव के पास भेजा था। डॉ. यादव ने उसे पावर हाउस स्थित अम्बे हॉस्पिटल में भर्ती होने के लिए कहा और वहां पर उसका ऑपरेशन हुआ। 

शत्रुघ्न साहू ने कहा कि अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद उसे ऑपरेशन संबंधी कोई कागज नहीं दिया गया। सिर्फ एक डिस्चार्ज लेटर दिया गया। लेकिन जब वह दोबारा ड्रेसिंग के लिए गया, तो वह लेटर भी अस्पताल में जमा करा लिया गया। 

पीड़ित ने कहा कि ऑपरेशन के डेढ़ साल बाद उसे पेट दर्द हुआ, तो वह डॉ. रिजवी के पास गया। जहां उसे सोनोग्राफी कराने की सलाह दी गई। सोनोग्राफी कराने पर पता चला कि उसकी एक किडनी गायब है। 

शत्रुघ्न साहू ने कहा कि वह अम्बे हॉस्पिटल जाकर कुछ डॉक्टरों से मिला, लेकिन वहां उसे धमकाया गया, तब वह चुप बैठ गया, लेकिन उसने इस घटना के बारे में अपने परिचित उस्मानी को बताया। उसने पुलिस से इसकी शिकायत करने की सलाह दी, तब उसने एसपी से शिकायत की है।

शत्रुघ्न के पास अस्पताल का कोई दस्तावेज तो नहीं है, लेकिन उसने अपने इलाज का भुगतान स्मार्टकार्ड से किया था। स्मार्टकार्ड का रिकॉर्ड निकाले जाने पर उस अस्पताल में इलाज कराए जाने की पुष्टि हो सकती है। प्रार्थी ने एसपी से शिकायत कर अस्पताल और ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। 

पावर हाउस स्थित अम्बे हॉस्पिटल के संचालक डॉ. शिव भारद्वाज ने कहा, 'हमारे अस्पताल में इस तरह का गंदा काम नहीं होता। हमारे खिलाफ ये बेबुनियाद आरोप लगाया जा रहा है। यदि शिकायत हुई है तो हम जांच के लिए तैयार हैं। जहां भी जवाब देने के लिए बुलाया जाएगा, वहां जाएंगे।' बहरहाल, दुर्ग पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।

टॅग्स :छत्तीसगढ़ समाचारडॉक्टर
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