तमिलनाडु की द्रमुक सरकार ने दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के नाम वाले एक विश्वविद्यालय को अन्नामलाई विश्वविद्यालय के साथ एकीकृत करने का एक प्रस्ताव मंगलवार को विधानसभा से पारित कराया जबकि विपक्षी अन्नाद्रमुक ने इसका विरोध जताते हुए सदन से बहिर्गमन किया एवं सड़क जाम की तथा इसे ‘राजनीतिक बदले की कार्रवाई’ करार दिया। जब उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने इस संबंध में सदन में विधेयक पेश किया तब अन्नाद्रमुक के उपनेता ओ पन्नीरसेल्वम और के पी अनबालागन ने उसका विरोध किया । मुख्य विपक्षी दल के सदस्य उठकर सदन से चले गये। भाजपा ने भी अपने सहयोगी दल का साथ दिया। पन्नीरसेल्वम के नेतृत्व में अन्नाद्रमुक विधायक ‘कलाईवनार आरंगम’ के सामने सड़क पर धरने पर बैठ गये । बाद में पुलिस ने उन्हें वहां से हटाया एवं एक हॉल में ठहराया। ‘कलाईवनार आरंगम’ में विधानसभा की कार्यवाही होती है। पन्नीरसेल्वम ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया कि द्रमुक सरकार ने ‘अम्मा’ जयललिता के नाम विश्वविद्यालय से उनका हटाकर और उसे अन्नामलाई विश्वविद्यालय से संबद्ध करके राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में कई पहलों एवं उपलब्धियों का श्रेय दिवंगत मुख्यमंत्री को जाता है तथा मुफ्त लैपटॉप जैसी पहल से सकल प्रवेश अनुपात राज्य में बढ़कर 50-51 हो गया जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 25 फीसद था। उन्होंने द्रमुक को निशाने पर लेते हुए कहा कि जब अन्नामलाई विश्वविद्यालय बुरे दौर से गुजर रहा था तब अम्मा की सरकार ने ही उसे जीवनदान दिया था। अन्नाद्रमुक के कार्यकर्ताओं ने विल्लुपुरम, तिरूचिरापल्ली और रानीपेट समेत कई स्थानों पर इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शन किया एवं द्रमुक सरकार के खिलाफ नारे लगाये।
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