चार में से एक भारतीय के साथ जाति, धर्म के आधार पर स्वास्थ्य सुविधाओं में भेदभाव : सर्वेक्षण

By भाषा | Updated: November 23, 2021 20:28 IST2021-11-23T20:28:55+5:302021-11-23T20:28:55+5:30

Discrimination in healthcare facilities on the basis of caste, religion with one in four Indians: Survey | चार में से एक भारतीय के साथ जाति, धर्म के आधार पर स्वास्थ्य सुविधाओं में भेदभाव : सर्वेक्षण

चार में से एक भारतीय के साथ जाति, धर्म के आधार पर स्वास्थ्य सुविधाओं में भेदभाव : सर्वेक्षण

नयी दिल्ली, 23 नवंबर एक तिहाई मुस्लिम, 20 फीसदी से अधिक दलित एवं आदिवासियों और कुल उत्तरदाताओं में से 30 फीसदी ने धर्म, जाति या बीमारी या स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर अस्पतालों में या स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों द्वारा भेदभाव किए जाने की जानकारी दी है। यह दावा एक रिपोर्ट में किया गया है।

‘ऑक्सफैम इंडिया’ ने भारत में कोविड-19 टीकाकरण अभियान के साथ चुनौतियों पर अपने त्वरित सर्वेक्षण के परिणामों को मंगलवार को साझा किया। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 43 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे टीका नहीं ले सके क्योंकि जब वे टीकाकरण केंद्र पहुंचे तो टीके समाप्त हो गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि वहीं 12 प्रतिशत इसलिए टीका नहीं लगवा सके क्योंकि वे टीके की ‘‘उच्च कीमतें’’ वहन नहीं कर सके।

‘सिक्योरिंग राइट्स ऑफ पेशेंट्स इन इंडिया’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार, नौ प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें खुद को टीका लगवाने के लिए एक दिन की मजदूरी गंवानी पड़ी।

एनजीओ ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और भारत के टीकाकरण अभियान के ‘‘कुछ प्रावधानों’’ के खिलाफ मरीजों के अधिकारों को शामिल करने के लिए सर्वेक्षण दो भागों में किया गया।

उसने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के मरीजों के अधिकार चार्टर पर सर्वेक्षण फरवरी और अप्रैल के बीच किया गया था और इसमें 3890 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई थीं। उसने कहा कि वहीं भारत के टीकाकरण अभियान पर सर्वेक्षण अगस्त और सितंबर के बीच 28 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में 10,955 उत्तरदाताओं को शामिल करते हुए किया गया।

‘ऑक्सफैम इंडिया’ ने सर्वेक्षण के निष्कर्षों का हवाला देते हुए कहा, ‘‘चार भारतीयों में से एक को उनकी जाति और धर्म के कारण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में भेदभाव का सामना करना पड़ा।’’

रिपोर्ट में दावा किया गया है, ‘‘एक तिहाई मुस्लिम उत्तरदाताओं, 20 प्रतिशत से अधिक दलित एवं आदिवासी उत्तरदाताओं और कुल उत्तरदाताओं में से 30 प्रतिशत ने धर्म, जाति के आधार पर अथवा बीमारी या स्वास्थ्य की स्थिति के आधार पर अस्पताल में या किसी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर द्वारा भेदभाव किए जाने की सूचना दी।’’

इसने दावा किया, 50 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि जब वे या उनके करीबी रिश्तेदार पिछले 10 वर्षों में अस्पताल में भर्ती हुए तो उन्हें इलाज या प्रक्रिया शुरू होने से पहले इलाज या प्रक्रिया की अनुमानित खर्च का ब्योरा नहीं दिया गया।

रिपोर्ट के अनुसार वहीं 31 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने मामले के कागजात, रोगी के रिकॉर्ड, जांच रिपोर्ट से अस्पताल द्वारा इनकार किए जाने की बात कही, भले ही उन्होंने इसकी मांग की। रिपोर्ट के अनुसार 35 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि कमरे में किसी महिला की मौजूदगी के बिना पुरुष परिचारक द्वारा उनकी शारीरिक जांच की गई।

इसमें कहा गया है, ‘‘उन्नीस प्रतिशत उत्तरदाताओं, जिनके करीबी रिश्तेदार अस्पताल में भर्ती थे, ने कहा कि अस्पताल ने शव देने से इनकार कर दिया।’’

ऑक्सफैम इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ बेहर ने एक बयान में कहा, ‘‘सर्वेक्षणों से पता चलता है कि भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं में गरीब और मध्यम वर्ग को रोगियों के मूल अधिकारों से नियमित रूप से वंचित किया जा रहा है।’’

देश में मरीजों को उनके अधिकारों से इनकार किये जाने को रेखांकित करते हुए, रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 74 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि डॉक्टर ने केवल उपचार लिखा या जांच करने के लिए कहा लेकिन उन्हें उनकी बीमारी, उसकी प्रकृति और बीमारी का कारण नहीं बताया।

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Web Title: Discrimination in healthcare facilities on the basis of caste, religion with one in four Indians: Survey

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