छात्रवृत्ति, बालिका शिक्षा अधिकारों को सुनिश्चित करती परंपरागत नौकरशाही का डिजिटलीकरण व प्रणालीगत सुधार

By अनुभा जैन | Updated: April 19, 2020 22:51 IST2020-04-19T22:51:07+5:302020-04-19T22:51:54+5:30

बालिका शिक्षा अधिकारों को सुनिश्चित करने हेतु राजस्थान सरकार, चिल्ड्रन्स इंवेस्टमेंट फण्ड फाउंडेशन की साझेदारी में ‘उड़ान परियोजना‘ के माध्यम से आईपीई ग्लोबल लिमिटेड द्वारा, बहु-घटक हस्तक्षेप रणनीतियों को अपनाकर समाज में एक प्रगतिशील बदलाव लाने का प्रयास कर रही है।

Digitization of traditional bureaucracy & systemic reforms ensuring Scholarship, Girls education rights | छात्रवृत्ति, बालिका शिक्षा अधिकारों को सुनिश्चित करती परंपरागत नौकरशाही का डिजिटलीकरण व प्रणालीगत सुधार

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है।

भारत में विशेषकर ग्रामीण परिवेश में छात्राओं को पढ़ने हेतु उत्साहित करने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा छात्रवृत्तियां देने का प्रचलन है। इसी कड़ी में महिमा के माता पिता ने अपनी पुत्री की शिक्षा के लिये छात्रवृत्ति हेतु आवेदन किया। महिमा के माता-पिता, जो कि पूर्ण रूप से आश्वस्त थे कि उनकी बेटी की छात्रवृत्ति, इस बार शायद स्वीकार हो जायेगी, जिसका वे कुछ महीनों से बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लेकिन अंततः वे यह सुनकर निराश हो गए कि उन्होंने जो दस्तावेज प्रस्तुत किये थे, वे कथित रूप से पर्याप्त नहीं थे।

यह दूसरी बार था जब महिमा की छात्रवृत्ति को अस्वीकार कर दिया गया था। जहां एक ओर महिमा के माता-पिता छात्रवृत्ति से वंचित रहने और अस्वीकृति के संभावित कारण होने के लिए स्वयं को दोषी ठहरा रहे थे। वहीं दूसरी ओर महिमा ने खुद को यह महसूस करते हुए दोषी ठहराया कि कक्षा आठ और नौ के बीच उसने जो ब्रेक लिया, वहीं उसकी छात्रवृत्ति के आवेदन के रद्द होने का कारण रहा होगा।

इसी कड़ी में बालिका शिक्षा अधिकारों को सुनिश्चित करने हेतु राजस्थान सरकार, चिल्ड्रन्स इंवेस्टमेंट फण्ड फाउंडेशन की साझेदारी में ‘उड़ान परियोजना‘ के माध्यम से आईपीई ग्लोबल लिमिटेड द्वारा, बहु-घटक हस्तक्षेप रणनीतियों को अपनाकर समाज में एक प्रगतिशील बदलाव लाने का प्रयास कर रही है। टीम उड़ान लाभार्थियों को वित्तीय साक्षरता देने, बैंकिंग प्रणाली, वित्तीय बहीखाते के महत्व, वित्तीय जरूरतों को प्राथमिकता प्रदान करने और तर्कसंगत बनाने में मदद करने का अवसर देता है।

महिमा के केस में उड़ान परियोजना के तहत आईपीई ग्लोबल की टीम ने विश्लेषण कर यहा जाना कि राजकीय छात्रवृत्ति, विद्यालयों में विद्यार्थियों के नामांकन और ठहराव को बढ़ाने के लिए एक प्रेरक कारक थी। किन्तु छात्रवृत्ति ना मिलने या हो रही देरी के लिये मुख्य कारण यही सामने आया कि आवेदन प्रक्रिया कागज-कलम पर निर्भर थी और दस्तावेजों का सत्यापन हाथों से मैन्युअल रूप में होता है। साथ ही नौकरशाही प्रणाली के भीतर प्रचलित प्रक्रिया से भी छात्रवृत्ति में देरी होना पाया गया क्योंकि आवेदन या तो एक स्थान पर अटक जाते या आलमारियों के बीच लम्बे समय तक बंद रखे रहते।

आईपीई ग्लोबल की टीम ने प्रणालीगत सुधार लाने के लिए सरकारी अधिकारियों के साथ पैरवी की। एक सरल समाधान के रूप में भामाशाह कार्ड को शाला-दर्पण ऑनलाइन छात्रवृत्ति  पोर्टल से जोडने पर बल दिया गया। इसके अंतर्गत भामाशाह कार्ड एक प्लास्टिक कार्ड होता है जिसमें परिवार के हर सदस्य के बारे में जानकारी उपब्ध रहती है जो कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आवश्यक है। अब अगले मुश्किल कदम के रूप में  कठोर और परंपरागत ढर्रे पर चल रही नौकरशाही को कागज के स्थान पर डिजीटल स्क्रीन पर तैयार करने का था। यह कागज और कलम प्रलेखन की व्यवस्था से डिजीटल सिस्टम की ओर बदलाव की यात्रा थी।

जल्द ही, शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक के दौरान, टीम उड़ान के सदस्यों ने यह कदम बढ़ाया और एक ऑनलाइन पोर्टल के संचालन का प्रदर्शन किया, जिससे सुझाव देने में वरिष्ठ अधिकारियों को सुविधा मिली और उन्होंने सहायता प्रदान की। यह रणनीति ऑनलाइन पोर्टल के तहत छात्रवृत्ति आवेदनों की जाँच और मंजूरी देने से जुड़ी है जिसमें पूरी प्रक्रिया व्यवस्थित कर समयबद्ध रखना होता है। साथ ही इस प्रणाली में जवाबदेही और पारदर्शिता भी सुनिश्चित रहती है और इससे समुदाय और सेवा वितरण प्रणाली के बीच एक प्रभावी कार्य साझेदारी स्थापित होती है।  

आज CIFF के समर्थन से IPE Global द्वारा आयोजित ई-मित्र (जो कि समुदाय को ऑनलाइन पोर्टल के उपयोग मेें सक्षम बनाता है) शिविरों के माध्यम से, ऑनलाइन आवेदन करने के बाद, महिमा को यह निश्चित रूप से पता है कि उसके दस्तावेज आवेदन प्रक्रिया के दौरान ही सही तौर पर स्वीकृत होकर जमा हो चुके हैं और वह जल्द ही अपनी छात्रवृत्ति राशि बैंक खाते में देख सकेगी, जो उसने हाल ही में खोला था। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (क्ठज्) के माध्यम से छात्रवृत्ति राशि का यह हस्तांतरण- जहाँ वित्तीय लेन-देन सरकार और लाभार्थी के बीच बिचैलिये या किसी तीसरे पक्ष के व्यवधान के बिना सीधे होता है, यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि धन के हस्तांतरण के दौरान धन की किसी भी संभावित हानि की संभावना नहीं है।

महिमा, उस समूह का हिस्सा बनी जिसने टीम उडान की सहायता से स्कूल में वित्तीय साक्षरता प्रशिक्षण में भाग लिया। अब वह न केवल उस छात्रवृत्ति राशि को संभालने के बारे में आश्वस्त है, जिसे वह जल्द ही प्राप्त करेगी, बल्कि वह भविष्य में उसके पासे होने वाले किसी भी अन्य वित्तीय संसाधन को भी अधिक विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल करने में सक्षम है।

टीम उड़ान द्वारा, परियोजना क्षेत्र में और सरकारी गलियारों में काम करने के दौरान अनुभव की गयी समस्याओं को दूर करने के लिए समाधानों के पुलों के निर्माण के तौर पर यह प्रयास किये गये हैं। इनके परिणामस्वरूप, परियोजना के रणनीतिक कस्केडिंग आन्दोलन का निर्माण एक सकारात्मक दिशा में, वंचित समुदायों के सर्वोत्तम  हित के लिए किया गया है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे, समाज के कमजोर वर्गों से आने वाली बालिकाओं की शिक्षा को सुनिश्चित करने में सफलता मिल रही है।

Web Title: Digitization of traditional bureaucracy & systemic reforms ensuring Scholarship, Girls education rights

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