भीषण गर्मी के बावजूद प्रदर्शनकारी किसानों के हौसले हैं बुलंद

By भाषा | Updated: July 2, 2021 19:52 IST2021-07-02T19:52:47+5:302021-07-02T19:52:47+5:30

Despite the scorching heat, the protesting farmers are spirited | भीषण गर्मी के बावजूद प्रदर्शनकारी किसानों के हौसले हैं बुलंद

भीषण गर्मी के बावजूद प्रदर्शनकारी किसानों के हौसले हैं बुलंद

नयी दिल्ली, दो जुलाई तपती गर्मी हो या भारी बारिश, किसानों के हौसले अब भी बुलंद हैं और उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों की वापसी तक वे दिल्ली की सीमाओं पर स्थित प्रदर्शन स्थलों से नहीं जाएंगे।

किसान नेताओं ने कहा कि बढ़ती गर्मी जरूरी चुनौतियां पेश कर रही है, लेकिन कोई भी बाधा उनकी लड़ाई को खत्म नहीं कर सकती और वे कूलर, एसी जैसी आवश्यक चीजें साथ रखे हुए हैं तथा ठंडे पानी का भी इंतजाम कर रखा है। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली भीषण गर्मी का सामना कर रही है, हालांकि शाम में कुछ इलाकों में बूंदाबांदी से थोड़ी राहत मिली है।

लखबीर सिंह ने कहा, ‘‘सिंघू में अभी बारिश नहीं हुई है, लेकिन हमें उम्मीद है कि वर्षा होगी। हम किसान हैं और जैसे हम अपने खेतों में बारिश का स्वागत करते हैं हम यहां भी बारिश का स्वागत करेंगे। हमने जाड़े में बारिश के बीच विरोध प्रदर्शन किया और अब हम मानसून के दौरान भी अपना आंदोलन जारी रखने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हैं।’’ ऑल इंडिया किसान सभा के उपाध्यक्ष (पंजाब) लखबीर सिंह ने कहा, ‘‘यह सच है कि गर्मी असहनीय होती जा रही है, लेकिन किसानों ने इससे निपटने के तरीके भी निकाल लिए हैं। किसानों ने अपनी निजी वित्तीय क्षमता के अनुसार कूलर, एयर कंडीशनर और पंखे लगाए हैं।’’ हालांकि, गर्मी के मौसम के मद्देनजर कुछ महीने पहले ही बिजली के उपकरण लगा लिए गए थे, लेकिन अनियमित बिजली आपूर्ति भी बड़ी चुनौती है।

कीर्ति किसान यूनियन (पंजाब) के महासचिव रचपाल सिंह ने कहा कि गर्मी में अक्सर बिजली गुल हो जाने से किसानों को ‘‘हर दिन दो से चार घंटे’’ बिना बिजली के ही रहना पड़ता है और सिंघू बॉर्डर पर पेड़ भी नहीं हैं, जिससे कि उसकी छाया में किसान रह सकें। उन्होंने कहा, ‘‘बार-बार बिजली गुल होने के कारण हममें से कई लोग रातों में ठीक से सो नहीं पाते हैं। पेड़ नहीं रहने से ठंडी हवा भी नहीं बहती है।’’

लखबीर सिंह ने कहा कि बृहस्पतिवार को कुंडली थाने के निकट एक ट्रांसफॉर्मर खराब हो गया और अब तक यह ठीक नहीं हो पाया। उन्होंने कहा, ‘‘प्रदर्शन स्थल के एक हिस्से में कल शाम से ही बिजली नहीं है।’’

पानी के लिए, प्रदर्शनकारियों को विरोध स्थल के पास स्थित राणा गोल्डन हट ढाबे से मदद मिल जाती है। लखबीर सिंह ने कहा कि ढाबे वाले ने पानी के टैंकर मुहैया कराए हैं, जिसमें पानी को ठंडा रखने के लिए बर्फ मिलाए जाते हैं। प्रदर्शन स्थल की विभिन्न जगहों पर छोटे-छोटे वाटर कूलर भी लगाए गए हैं।

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत देश के विभिन्न इलाकों के हजारों किसान केंद्र के कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर डटे हुए हैं।

किसान नेताओं ने कहा कि पिछले साल नवंबर से किसान कंपकंपाती ठंड, बारिश के बाद अब गर्मी का सामना कर रहे हैं लेकिन उनका मनोबल अब भी ऊंचा है। भारतीय किसान यूनियन (पंजाब) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मंजीत सिंह ने कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं कि इस गर्मी में विरोध प्रदर्शन करना मुश्किल है, लेकिन जो हम चाहते हैं उसे पाने का हमारा संकल्प इतना ऊंचा है कि गर्मी से लड़ना उसके मुकाबले कुछ भी नहीं है। हमने ठंड में हार नहीं मानी और अब भी हार नहीं मान रहे हैं।’’

असहनीय गर्मी ने कई किसानों के स्वास्थ्य पर भी असर डाला है। लखबीर सिंह ने कहा कि बढ़ते रक्तचाप और हृदय से जुड़ी दिक्कतें इस समय सबसे आम स्वास्थ्य समस्याओं में से हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लगभग 10 लोग प्रतिदिन बीमार पड़ रहे हैं। कुछ यहां के स्वास्थ्य शिविरों में इलाज से ठीक हो जाते हैं, अधिक गंभीर रोगियों को आराम करने और ठीक होने के लिए उनके गांवों में वापस भेज दिया जाता है।’’

भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों के मुताबिक गाजीपुर बॉर्डर पर वर्तमान में उनके लगभग 4,000 से 5,000 समर्थक डेरा डाले हुए हैं और जब भी आवश्यकता होगी, तब विरोध को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।

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Web Title: Despite the scorching heat, the protesting farmers are spirited

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