लद्दाख में पूर्ण राज्य के दर्जे और संवैधानिक सुरक्षा की मांग तेज हुई

By भाषा | Published: December 31, 2021 03:52 PM2021-12-31T15:52:46+5:302021-12-31T15:52:46+5:30

Demand for full statehood and constitutional protection intensified in Ladakh | लद्दाख में पूर्ण राज्य के दर्जे और संवैधानिक सुरक्षा की मांग तेज हुई

लद्दाख में पूर्ण राज्य के दर्जे और संवैधानिक सुरक्षा की मांग तेज हुई

(तारिक सोफी)

लेह, 28 दिसंबर लद्दाख में छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करने की मांग को लेकर चल रहे अभियान में वर्ष 2021 में पूर्ण राज्य के दर्जे समेत कई और मांगे जुड़ गई हैं। अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत लेह और कारगिल के लोगों ने सर्द ऋतु के खत्म होने के बाद प्रदर्शन तेज करने की चेतावनी दी है, जो नए साल में सरकार और लोगों के बीच निर्णायक जंग का संकेत है।

लद्दाख को ‘ठंडा रेगिस्तान’ भी कहा जाता है जो सामान्य तौर पर सर्दी के मौसम में भारी बर्फबारी के कारण श्रीनगर-लेह और मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग के बंद होने से देश के अन्य हिस्सों से कट जाता है। यहां मार्च-अप्रैल में महामारी की दूसरी लहर के बाद नवंबर से कोविड-19 के मामलों में वृद्धि हो रही है और इस वजह से स्थानीय प्रशासन ने रात्रिकालीन कर्फ्यू समेत अन्य प्रतिबंध लगाए और विद्यालयों को बंद कर दिया।

लद्दाख को पांच अगस्त, 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग करके केंद्रशासित क्षेत्र बनाया गया था। जम्मू-कश्मीर का अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जे को समाप्त करते हुए यह कदम उठाया गया था। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सितंबर में श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर निर्माणाधीन जोजिला सुरंग का निरीक्षण किया और लोगों को आश्वस्त किया था कि अगले दो वर्षों में केंद्र सरकार केंद्रशासित प्रदेश में विकास के परिदृश्य को बदल देगी।

लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा मिलने के बाद लेह के राजनीतिक मंचों ने छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा की मांग शुरू कर दी और इसकी गूंज संसद में भी उस समय सुनाई पड़ी जब भाजपा सांसद जामयांग त्सेरिंग नामग्यालय ने शून्यकाल के दौरान उठाया।

इस मांग को लेकर अगस्त और बाद में दिसंबर में पूर्ण हड़ताल रहा। इसको लेकर लेह में एपेक्स बॉडी और केडीए ने संयुक्त तौर पर पूर्ण राज्य और पूरे लद्दाख में छठी अनुसूची लागू करने के समर्थन में मांग रखी।

अगस्त से पहले गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ कई बैठकें करने के बाद एपेक्स बॉडी और केडीए ने इस मुद्दे पर ‘गंभीर नहीं होने का’ आरोप लगाते हुए रोष प्रकट किया और 13 दिसंबर को हड़ताल का आह्वान कर दिया। उन्होंने मार्च 2022 में अपने मांग के समर्थन में एक व्यापक प्रदर्शन की चेतावनी दी।

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Web Title: Demand for full statehood and constitutional protection intensified in Ladakh

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