देश की राजधानी उत्तरपूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा में मारे गए हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल का परिवार राजस्थान के सीकर में धरना दे रहा है। कॉन्स्टेबल रतनलाल के परिवार की मांग है कि उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाए। उन्होंने कहा है कि जब तक उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दिया जाएगा, वह धरना जारी रखेंगे। उनके परिवार ने पैतृक गांव जाने वाले रास्ते पर जाम लगा दिया है। उत्तरपूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा में मरने वालों की संख्या 17 हो गई है और 200 से अधिक लोग घायल हैं। पुलिस भीड़ पर काबू पाने की जद्दोजेहद में है। उत्तरपूर्वी दिल्ली के कुछ इलाकों में धारा 144 लागू है। दिल्ली के भजनपुरा में हुई हिंसा के दौरान रतनलाल की मौत हो गई थी, वो राजस्थान के सीकर के रहने वाले थे।
सीकर जाने वाली सड़क पर रतनलाल के परिवार ने तीन किलोमीटर का धरना किया। परिवार का कहना है कि जबतक रतनलाल को शहीद का दर्जा नहीं मिलेगा, वो उनका अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल का पैतृक गांव फतेहपुर शेखावाटी के तिहावली में है, जहां पर परिवार के साथ गांव वाले भी धरना दे रहे हैं। हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल दिल्ली में कुलपुरी में एसीपी ऑफिस में कार्यरत थे।
42 वर्षीय हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल के सिर पर पत्थर से चोट गंभीर चोट लगी थी। चांदबाग में पथराव के दौरान घायल हुए थे। बाद में पता चला कि उन्हें गोली लगी है और उनकी मौत हो गई। उनके परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं। 1998 में रतन लाल दिल्ली पुलिस में शामिल हुए थे। रतनलाल दिल्ली के बुराड़ी में रहते थे।
उप राज्यपाल अनिल बैजल ने हेड कांस्टेबल रतनलाल को श्रद्धांजलि देने के लिये आयोजित कार्यक्रम का नेतृत्व भी किया था। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय और दिल्ली के पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने भी मारे गए पुलिसकर्मी को यहां नयी पुलिस लाइंस में शहीद स्मारक स्थल पर श्रद्धांजलि दी थी।