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Delhi Violence: कपिल सिब्बल ने राज्यसभा में कहा- वायरस के कारण हुई हिंसा, जिसे भाषणों से फैलाया, FIR क्यों नहीं दर्ज की?

By रामदीप मिश्रा | Updated: March 12, 2020 15:40 IST

दिल्ली हिंसाः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कई जगह पर पुलिस CCTV कैमरे तोड़ती हुई नजर आई। इससे साफ होता है कि जो हिंसा में शामिल थे उन्हें बचाने की कोशिश की जा रही थी।

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ठळक मुद्देकपिल सिब्बल ने दिल्ली हिंसा को सांप्रदायिक वायरस करार दिया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों का दंगों से कुछ लेना देना नहीं था ऐसे लोगों की मौतें भी हुईं।

दिल्ली हिंसा पर गुरुवार (12 मार्च) को राज्यसभा में चर्चा हो रही है। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला। साथ ही साथ उन्होंने दिल्ली हिंसा को सांप्रदायिक वायरस करार दिया और भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज न होने को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से सवाल पूछा।

कपिल सिब्बल ने राज्यसभा में कहा, 'हिंसा वायरस के कारण हुई, सांप्रदायिक वायरस जो भाषण दे रहे लोगों द्वारा फैलाया गया था। मैं गृह मंत्री से पूछता हूं कि उन भाषण देने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की गई?' कई जगह पर पुलिस CCTV कैमरे तोड़ती हुई नजर आई। इससे साफ होता है कि जो हिंसा में शामिल थे उन्हें बचाने की कोशिश की जा रही थी। जिन लोगों का दंगों से कुछ लेना देना नहीं था ऐसे लोगों की मौतें भी हुईं।' 

Kapil Sibal, Congress in Rajya Sabha: The violence happened because of the virus, the communal virus that was spread by the people who were giving speeches. I ask the Home Minister why FIRs were not registered against those who delivered those speeches. #DelhiViolencepic.twitter.com/dCFYHGyLQZ— ANI (@ANI) March 12, 2020

बता दें, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बीते दिन लोकसभा में दिल्ली हिंसा पर जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने बताया कि 700 से ज्यादा FIR दर्ज की गई हैं और 2,647 लोग हिरासत में लिए गए हैं। सीसीटीवी फुटेज की 25 से ज्यादा कम्प्यूटरों पर जांच हो रही है हिंसा को रोकने में दिल्ली पुलिस की भूमिका की सराहना करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि पुलिस ने हिंसा को पूरी दिल्ली में नहीं फैलने देने की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। शाह ने कहा कि दिल्ली के कुल 203 थाने हैं और हिंसा केवल 12 थाना क्षेत्रों तक सीमित रही। 

उन्होंने कहा था कि दिल्ली पुलिस की सबसे पहली जिम्मेदारी हिंसा को रोकने की थी। कुछ विपक्षी सदस्यों की टोकाटोकी के बीच उन्होंने कहा कि 24 फरवरी को दोपहर दो बजे के आसपास हिंसा की घटना की पहली सूचना मिली और अंतिम सूचना 25 फरवरी 11 बजे मिली, यानी ज्यादा से ज्यादा 36 घंटे हिंसा चली। शाह ने कहा था कि दिल्ली पुलिस ने 36 घंटे में हिंसा को रोकने का काम किया और इसे फैलने की आशंका को शून्य कर दिया।

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