सीलिंग विवादः क्यों मचा है AAP-BJP में घमासान, केजरीवाल ने बताया ये समाधान
By आदित्य द्विवेदी | Updated: January 30, 2018 17:38 IST2018-01-30T17:33:02+5:302018-01-30T17:38:44+5:30
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अगर उपराज्यपाल, बीजेपी और केंद्र सरकार चाहे तो 24 घंटे में बंद हो सकती है सीलिंग। उधर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि केजरीवाल ने घर बुलाकर मरवाया।

सीलिंग विवादः क्यों मचा है AAP-BJP में घमासान, केजरीवाल ने बताया ये समाधान
दिल्ली के कारोबारियों के दुकानों के सीलबंदी की चिंता अब राजनीतिक वर्चस्व की जंग में बदल गई है। मंगलवार को एक नाटकीय घटनाक्रम में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच नोकझोंक हुई। दरअसल, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी की अध्यक्षता में 20 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल सीएम अरविंद केजरीवाल से मिलने उनके आवास पहुंचा था। मनोज तिवारी ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने अपने गुंडों से मरवाया। उन्होंने कि मुख्यमंत्री ने अपने आवास में बुलाकर अपमानित किया।
वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में कहा है कि मैंने अपने बीजेपी के दोस्तों विनम्रता से बैठने का आग्रह किया। मैंने उनसे कहा कि लोकतंत्र में बैठकर बातचीत के माध्यम से विवाद का हल निकाला जा सकता है। पहले आप बैठ जाइये हम इस मुद्दे पर हम साथ बैठकर बातचीत करते हैं, लेकिन वे नहीं माने और वापस लौट गए।
केजरीवाल ने बताया सीलिंग मुद्दे का समाधान
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि अगर उपराज्यपाल, बीजेपी और केंद्र सरकार चाह ले तो 24 घंटे के अंदर सीलिंग रुक सकती है। साथ ही उन्होंने इस मसले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि सीलबंदी से परेशान व्यापारियों से मिलने मॉडल टाउन बाजार गया था। वहां कारोबारियों ने बताया कि केंद्र सरकार से लेकर उपराज्यपाल तक चिट्ठी लिखकर थक चुके हैं। कोई समाधान नहीं मिला।
भाजपा का दल प्रदेश अध्यक्ष श्री @ManojTiwariMP जी के नेतृत्व में दिल्ली के 2 करोड़ लोगों की समस्या को लेकर केजरीवाल जी के घर पहुँचा था लेकिन देखिए कैसे घर बुला कर केजरीवाल और उनके साथियों ने हमारा अपमान किया। यह सब तैयारी इन्होंने पहले से कर रखी थी। #KejriwalGoonspic.twitter.com/c1lq89olDf
— BJP Delhi (@BJP4Delhi) January 30, 2018
क्या है सीलिंग विवाद?
साल 2006 में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थी। उनकी सरकार में रिहायशी इलाकों में कॉमर्शियल दुकानों की सीलबंदी की कार्रवाई शुरू हुई थी। दरअसल, डीडीए के मास्टर प्लान-2021 में रिहायशी इलाकों में कॉमर्शियल दुकानों पर रोक का प्रावधान है। इस आदेश पर बवाल बढ़ता देख केंद्र सरकार साल 2006 में ही दिल्ली स्पेशल प्रोविजन बिल लाई। इस बिल के तहत तब तक बन चुकी अवैध इमारतों को सीलिंग के दायरे से बाहर कर दिया गया। अब जुलाई 2014 के बाद हुए अवैध निर्माण पर सीलिंग की कार्रवाई की जा रही है। इससे कारोबारियों में रोष है। उनका कहना है कि उनकी जमी-जमाई दुकानें खत्म की जा रही हैं।
आम आदमी पार्टी के विधायकों का कहना है कि अगर डीडीए के मास्टर प्लान-2021 में बदलाव कर दिया जाए तो कारोबारियों को सीलिंग से राहत मिल सकती है। राज्यपाल अनिल बैजल का कहना है कि इस मसले पर सभी कानूनी पहलुओं को देखकर केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजा जाएगा।