दिल्ली प्रूदषण: स्थिति में सुधार लेकिन वायु गुणवत्ता अब भी ‘बेहद खराब’

By भाषा | Published: November 12, 2020 11:04 AM2020-11-12T11:04:33+5:302020-11-12T11:04:33+5:30

Delhi pollution: Situation improving but air quality still 'very poor' | दिल्ली प्रूदषण: स्थिति में सुधार लेकिन वायु गुणवत्ता अब भी ‘बेहद खराब’

दिल्ली प्रूदषण: स्थिति में सुधार लेकिन वायु गुणवत्ता अब भी ‘बेहद खराब’

नयी दिल्ली, 12 नवंबर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता बृहस्पतिवार को ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि स्थिति दो दिन पहले की तुलना में ‘काफी बेहतर’ है, जब प्रदूषण का स्तर 'आपात' से भी ऊपर पहुंच गया था।

सरकारी एजेंसियों और मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि हवाओं की दिशा उत्तर पश्चिम से बदलकर उत्तर-उत्तर पूर्व होने से प्रदूषण स्तर में गिरावट दर्ज की गई क्योंकि हवा की दिशा की वजह से पराली जलने से दिल्ली में प्रदूषण की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय कमी आई।

दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक सुबह नौ बजे 315 दर्ज किया गया। बुधवार और मंगलवार को 24 घंटे का औसत सूचकांक क्रमश: 344 और 476 दर्ज हुआ।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दिल्ली में लगातार छह दिनों तक चार नवंबर से नौ नवंबर के बीच प्रदूषण स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में बना रहा था।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आने वाले दिल्ली के पड़ोसी शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक फरीदाबाद में 306, गाजियाबाद में 336, नोएडा में 291, ग्रेटर नोएडा में 322, गुड़गांव में 261 दर्ज किया गया। ये सूचकांक ‘खराब’ और ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आते हैं।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया, ‘मंगलवार की तुलना में स्थिति बेहतर है।’

उन्होंने बताया कि हवा की दिशा में बदलाव से पंजाब और हरियाणा से पराली का धुआं पहले की तरह इधर नहीं आ पा रहा है। अधिकारी ने बताया कि हालांकि, शुक्रवार को आंशिक तौर पर वायु गुणवत्ता में गिरावट की संभावना है।

आईएमडी ने बताया कि सुबह हवा की गति शांत थी और न्यूनतम तापमान 11.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। शांत हवा और न्यूनतम तापमान से प्रदूषण तत्व सतह के करीब रहते हैं जबकि हवा में तेजी से इन कणों का बिखराव होता है।

सफदरजंग वेधशाला ने सुबह में हल्की धुंध दर्ज ी और दृश्यता का स्तर 800 मीटर था।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी इकाई ‘सफर’ ने बताया कि हवा की दिशा में बदलाव की वजह से पराली जलने के कारण शहर में प्रदूषण की हिस्सेदारी कम रही। दिल्ली के पीएम 2.5 में पराली जलने से प्रदूषण की मात्रा सिर्फ तीन फीसदी दर्ज की गई, जो कि बेहद कम है।

सीपीसीबी ने बुधवार को हॉट मिक्स संयंत्रों और पत्थर तोड़ने का काम करने वाली मशीनों (स्टोन क्रशर) पर 17 नवंबर तक प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि त्योहारी मौसम की वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ने की आशंका है। वहीं पंजाब और हरियाणा सरकार से भी पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा है। वहीं दिल्ली-एनसीआर में प्रशासन को जैव ईंधनों के जलने पर निगरानी रखने को कहा गया है।

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