दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति को लेकर बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने दिल्ली शराब घोटाला मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, उनकी पत्नी, अमनदीप सिंह ढल्ल, राजेश जोशी, गौतम मल्होत्रा और अन्य आरोपियों के 52.24 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है।
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया गया था। धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत (7.29 करोड़ रुपये मूल्य की) अन्य अचल संपत्तियों को कुर्क करने के लिए एक अस्थायी आदेश जारी किया गया है।
जिसमें मनीष सिसोदिया और उनकी पत्नी सीमा सिसोदिया की दो संपत्तियां, एक अन्य आरोपी राजेश जोशी (चैरियट प्रोडक्शंस मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक) की जमीन/फ्लैट और गौतम मल्होत्रा की जमीन/फ्लैट शामिल हैं। एजेंसी ने एक बयान में कहा कि कुर्क की गई संपत्ति में मनीष सिसोदिया की बैंक में जमा 11.49 लाख रुपये की राशि सहित, ब्रिंडको सेल्स प्राइवेट लिमिटेड (16.45 करोड़ रुपये की राशि) और अन्य सहित 44.29 करोड़ रुपये की चल संपत्ति भी शामिल है।
ईडी ने कहा कि कुर्क की गई संपत्ति का कुल मूल्य 52.24 करोड़ रुपये है। दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री सिसोदिया को इस मामले में ईडी ने मार्च में गिरफ्तार किया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आरोप लगाया गया है कि 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति में कुछ शराब डीलरों का पक्ष लिया गया।
जिन्होंने कथित तौर पर इसके लिए रिश्वत दी थी। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने इस आरोप का खंडन किया है। बाद में नीति रद्द कर दी गई और दिल्ली के उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की, जिसके बाद ईडी ने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया।
सीबीआई ने अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में कई दौर की पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। दिल्ली सरकार में अपने तथा अपने सहयोगियों के लिए लगभग 90-100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत के कथित भुगतान से संबंधित आपराधिक साजिश में "सबसे महत्वपूर्ण व प्रमुख भूमिका" निभाई थी।
आबकारी नीति की जांच के सिलसिले में 26 फरवरी को सीबीआई के मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में उन्हें नौ मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नयी आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे वापस ले लिया था। जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर रहा है। अदालत ने कहा था कि उनके खिलाफ लगे आरोप बहुत गंभीर प्रकृति के हैं।