विवाहित वर्दीधारी अधिकारी का किसी अन्य महिला के साथ संबंध रखना और अश्लील संदेश भेजना गलत, दिल्ली हाईकोर्ट ने सीआईएसएफ उपनिरीक्षक की वेतन कटौती की सजा को रखा बरकरार

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 16, 2025 19:15 IST2025-10-16T19:13:53+5:302025-10-16T19:15:04+5:30

अदालत ने कहा, ‘‘जांच और पुनरीक्षण प्राधिकारी ने सही पाया कि याचिकाकर्ता एक वर्दीधारी बल का सदस्य होने के नाते पहले से शादीशुदा था और उसे किसी अन्य महिला के साथ संबंध रखने या अभद्र संदेश भेजने का कोई मतलब नहीं था।’’

Delhi High Court upholds CISF sub-inspector's sentence  salary cut wrong married uniformed officer an affair another woman send obscene messages | विवाहित वर्दीधारी अधिकारी का किसी अन्य महिला के साथ संबंध रखना और अश्लील संदेश भेजना गलत, दिल्ली हाईकोर्ट ने सीआईएसएफ उपनिरीक्षक की वेतन कटौती की सजा को रखा बरकरार

सांकेतिक फोटो

Highlightsआचरण निश्चित रूप से एक वर्दीधारी बल के अधिकारी के लिए अनुचित है।फैसला 14 अक्टूबर को अदालत की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया। उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की कि कृत्य को देखते हुए सजा बिल्कुल उपयुक्त थी।

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि एक विवाहित वर्दीधारी अधिकारी का किसी अन्य महिला के साथ संबंध रखना और उसे अश्लील संदेश भेजना ‘‘वर्दीधारी बल के एक अधिकारी के लिए अशोभनीय आचरण है।’’ केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के एक उपनिरीक्षक पर महिला सहकर्मी को अनुचित संदेश भेजने और फोन कर यौन उत्पीड़न करने के आरोपों के मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की और उसकी वेतन कटौती की सजा को बरकरार रखा। अदालत ने कहा, ‘‘जांच और पुनरीक्षण प्राधिकारी ने सही पाया कि याचिकाकर्ता एक वर्दीधारी बल का सदस्य होने के नाते पहले से शादीशुदा था और उसे किसी अन्य महिला के साथ संबंध रखने या अभद्र संदेश भेजने का कोई मतलब नहीं था।’’

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति विमल कुमार यादव की पीठ ने 22 सितंबर के अपने फैसले में कहा, ‘‘यह आचरण निश्चित रूप से एक वर्दीधारी बल के अधिकारी के लिए अनुचित है।’’ फैसला 14 अक्टूबर को अदालत की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया। सजा के खिलाफ अधिकारी की अपील को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की कि कृत्य को देखते हुए सजा बिल्कुल उपयुक्त थी।

इसने यह भी उल्लेख किया कि अधिकारी को ‘‘बहुत कम सजा’’ दी गई। सजा में दो साल के लिए वेतन में कटौती शामिल है, जिसके दौरान उसे कोई वेतन वृद्धि नहीं मिलेगी। इस अवधि के पूरा होने पर इस कटौती के परिणामस्वरूप भविष्य में वेतन वृद्धि में भी देरी होगी। महिला ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि उसके साथ बातचीत के दौरान अधिकारी ने कुछ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया।

गलत इरादे से उसके घर में भी घुस आया। महिला की शिकायत के बाद विभागीय जांच की गई और अधिकारी के खिलाफ आरोप तय किए गए तथा जांच समिति द्वारा सजा भी दी गई। पुनरीक्षण प्राधिकारी ने अधिकारी की दलील को खारिज कर दिया और कहा कि बचाव पक्ष के बयान पर विचार न करने के संबंध में उसका आरोप किसी विशिष्ट विवरण द्वारा समर्थित नहीं है।

इसलिए अस्पष्ट, अनिर्दिष्ट है और अपर्याप्त दलीलों को स्वीकार नहीं किया जा सकता। उच्च न्यायालय ने कहा कि पुनरीक्षण प्राधिकारी का मानना ​​था कि याचिकाकर्ता विवाहित होने के कारण नैतिक दायित्व के तहत किसी अन्य महिला के साथ संबंध नहीं बनाए और न ही कोई अश्लील संदेश भेजे।

इसने कहा, ‘‘अदालत के निर्णयों की श्रृंखला में निर्धारित कानून को लागू करते हुए इस न्यायालय को जांच कार्यवाही में कोई कमी नहीं दिखती। यह नहीं कहा जा सकता कि जांच समिति ने बाहरी सामग्री पर विचार किया है या किसी प्रासंगिक सामग्री पर विचार करने से चूक गई है। नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया गया है।’’

Web Title: Delhi High Court upholds CISF sub-inspector's sentence  salary cut wrong married uniformed officer an affair another woman send obscene messages

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