नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि घरेलू हिंसा कानून के खिलाफ ससुराल में रहने के अधिकार में ‘सुरक्षित और स्वस्थ जीवन’ भी शामिल है। उच्च न्यायालय की यह टिप्पणी निचली अदालत के आदेश के खिलाफ एक महिला की याचिका पर आई है।
निचली अदालत ने उसके पति और सास द्वारा उत्पीड़न किये जाने संबंधी महिला के आरोपों को लेकर उसे कोई राहत देने से इनकार कर दिया था। महिला ने दावा किया था कि उसका पति और सास उसे परेशान करने और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए साझा घर में 10 आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं।
न्यायमूर्ति तुषार राव गदेला ने महिला की याचिका पर नोटिस जारी किया और कहा, ‘‘...घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधनियम,2005 के प्रावधानों के तहत ससुराल में रहने के अधिकार में ‘सुरक्षित और स्वस्थ्य जीवन’ की परिभाषा भी शामिल है।’’ उन्होंने कहा कि इसलिए इस अदालत के हस्तक्षेप करने की जरूरत है।
इससे पहले, निचली अदालत में महिला ने दलील दी थी कि साझा घर में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से उसके (महिला के) मूल अधिकारों का हनन हुआ है जिसमें जीवन का अधिकार और स्वास्थ्य का अधिकार भी शामिल है।
वकील ने अदालत में कई तस्वीरें भी पेश की, जिनमें प्रतिवादियों को घर में कई कुत्तों को रखे देखा जा सकता है। उच्च न्यायालय ने महिला के पति और सास को याचिका पर चार हफ्तों के अंदर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई मई के लिए सूचीबद्ध कर दी।