तिहाड़ जेल से नहीं हटेगी अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्र, दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका की खारिज

By अंजली चौहान | Updated: September 24, 2025 13:18 IST2025-09-24T13:17:35+5:302025-09-24T13:18:12+5:30

Delhi HC: जनहित याचिका में “आतंकवाद के महिमामंडन” और जेल परिसर के दुरुपयोग को रोकने के लिए अफजल गुरु और मकबूल भट के अवशेषों को स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।

Delhi High Court dismisses petition graves of Afzal Guru and Maqbool Bhatt will not be removed from Tihar Jail | तिहाड़ जेल से नहीं हटेगी अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्र, दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका की खारिज

तिहाड़ जेल से नहीं हटेगी अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की कब्र, दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका की खारिज

Delhi HC: दिल्ली हाईकोर्ट ने आतंकवादी अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की तिहाड़ जेल में स्थित कब्र को हटाने वाली याचिका खारिज कर दी है। दोनों को मौत की सज़ा सुनाई गई थी और जेल के अंदर ही फांसी दी गई थी। और वहीं उनकी कब्रें बनी हुई है। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में सरकार द्वारा फांसी के समय लिए गए संवेदनशील फैसले शामिल होते हैं और एक दशक से ज़्यादा समय बाद उन्हें फिर से खोलना उचित नहीं है।

अदालत ने कहा कि केवल सक्षम प्राधिकारी ही ऐसे मुद्दों पर फैसला ले सकता है और जेल परिसर के अंदर दफ़नाने या दाह संस्कार पर रोक लगाने वाले किसी विशिष्ट कानून के अभाव में न्यायिक हस्तक्षेप अनुचित है।

अदालत ने कहा, “लेकिन पिछले 12 सालों से मौजूद एक कब्र को हटाना... सरकार ने फांसी के समय यह फैसला लिया था, यह देखते हुए कि शव परिवार को सौंपने या जेल के बाहर दफ़नाने के क्या परिणाम हो सकते हैं। ये बहुत संवेदनशील मुद्दे हैं, जिनमें कई कारकों पर विचार किया जाता है। क्या अब हम 12 साल बाद उस फैसले को चुनौती दे सकते हैं?” 

अफ़ज़ल गुरु और मकबूल भट की कब्रें तिहाड़ जेल के अंदर ही हैं, जहाँ उन्हें क्रमशः 2013 और 1984 में फाँसी दिए जाने के बाद दफनाया गया था।

जनहित याचिका में अधिकारियों को निर्देश देने की माँग की गई थी कि यदि आवश्यक हो, तो अफ़ज़ल गुरु और मकबूल भट के पार्थिव शरीरों को किसी गुप्त स्थान पर स्थानांतरित किया जाए ताकि "आतंकवाद का महिमामंडन" और तिहाड़ जेल परिसर का दुरुपयोग रोका जा सके।

विश्व वैदिक सनातन संघ और जितेंद्र सिंह द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया था कि राज्य द्वारा संचालित जेल के अंदर कब्रों का निर्माण और उनकी निरंतर उपस्थिति "अवैध, असंवैधानिक और जनहित के विरुद्ध" है।

याचिका में दावा किया गया था कि कब्रों ने तिहाड़ जेल को "कट्टरपंथी तीर्थस्थल" बना दिया है, जहाँ दोषी आतंकवादियों की पूजा करने के लिए चरमपंथी तत्व आकर्षित हो रहे हैं।

इसमें कहा गया है, "यह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को कमजोर करता है, बल्कि भारत के संविधान के तहत धर्मनिरपेक्षता और कानून के शासन के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए आतंकवाद को भी पवित्र बनाता है।"

इसने आगे तर्क दिया कि ये कब्रें दिल्ली कारागार नियम, 2018 का उल्लंघन करती हैं, जिसके अनुसार फाँसी दिए गए कैदियों के शवों का इस तरह से निपटान किया जाना चाहिए जिससे उनका महिमामंडन न हो, जेल का अनुशासन बना रहे और सार्वजनिक व्यवस्था बनी रहे।

Web Title: Delhi High Court dismisses petition graves of Afzal Guru and Maqbool Bhatt will not be removed from Tihar Jail

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