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मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने असम के मुख्यमंत्री से मुलाकात की, दरांग की घटना पर रोष जताया

By भाषा | Updated: September 27, 2021 21:45 IST

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नयी दिल्ली, 27 सितंबर देश में मुसलमानों के दो प्रमुख संगठनों जमीयत उलेमा-ए-हिंद और जमात-ए-इस्लामी हिंद के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को असम के मुख्यमंत्री से गुवाहाटी में मुलाकात की और प्रदेश के दरांग जिले में हुई घटना के पीड़ितों के लिए उचित मुआवज़े की मांग की। साथ ही प्रतिनिधिमंडल ने उम्मीद जताई कि हिमंत बिस्व सरमा पीड़ितों को “इंसाफ दिलाने में व्यक्तिगत रूप से मदद करेंगे।”

राष्ट्रीय राजधानी में जमीयत की ओर से सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया है, “जमीयत उलेमा-ए-हिंद और जमात-ए-इस्लामी हिंद के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा से गुवाहाटी स्थित उनके कार्यालय में भेंट की और दरांग जिले के धौलपुर में सरकारी भूमि को खाली कराने में हुई हिंसक घटना और अमानवीयता तथा गरीब व मजदूर वर्ग को अपने ही देश में बेघर करने पर अपना रोष प्रकट किया।”

बयान के मुताबिक, प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से इस घटना की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराने, पुलिस कार्रवाई में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 20-20 लाख रुपये और घायलों को 10-10 लाख रुपये का मुआवज़ा देने की मांग की।

गौरतलब है कि असम के दरांग जिले के सिपाझार में पिछले बृहस्पतिवार को पुलिस ने कथित तौर पर सरकारी जमीन से अतिक्रमणकारियों को बाहर निकालने की कोशिश के दौरान गोलियां चलाईं, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। पुलिस के साथ हुई झड़पों में करीब 20 लोग घायल हो गए।

इस घटना का एक चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है, जिसमें छाती पर गोली लगने से जख्मी एक व्यक्ति को कैमरा लिये हुए एक शख्स पीटता हुआ दिखाई दे रहा है। राज्य सरकार ने इस मामले को लेकर जनता के बढ़ते गुस्से के मद्देनजर घटना की परिस्थितियों की न्यायिक जांच की घोषणा की है।

प्रदेश के गृह एवं राजनीतिक विभाग के सचिव देबप्रसाद मिश्रा की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि सरकार ने फैसला किया है कि इस घटना की जांच गुवाहाटी उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा की जाएगी।

बहरहाल, मुस्लिम संगठन के बयान के मुताबिक, प्रतिनिधिमंडल में शामिल जमीयत के महासचिव मौलाना हकीमुददीन क़ासमी ने कहा, “दरांग ज़िले में जो कुछ हुआ वह बड़ा अमानवीय और बर्बरता वाला है। हम यह आशा करते हैं कि आप निर्बल, असहाय, पीड़ितों को न्याय दिलाने में व्यक्तिगत तौर से सहायता करेंगे। हमारे देश के संविधान में मानवाधिकारों को प्राथमिकता प्राप्त है। कोई भी भूमि का टुकड़ा किसी भी व्यक्ति के जीवन से ऊपर या महत्वपूर्ण नहीं है।”

उन्होंने कहा, “इसलिए हम आशा करते हैं कि असम के मुख्यमंत्री मानवीय मूल्यों की सुरक्षा करेंगे और पीड़ितों को न्याय दिलाने में बड़ी तत्परता से काम लेंगे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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