नीट-पीजी काउंसलिंग में देरी: केन्द्र संचालित अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टरों ने किया प्रदर्शन

By भाषा | Updated: November 27, 2021 20:54 IST2021-11-27T20:54:13+5:302021-11-27T20:54:13+5:30

Delay in NEET-PG counseling: Resident doctors of centrally run hospitals demonstrated | नीट-पीजी काउंसलिंग में देरी: केन्द्र संचालित अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टरों ने किया प्रदर्शन

नीट-पीजी काउंसलिंग में देरी: केन्द्र संचालित अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टरों ने किया प्रदर्शन

नयी दिल्ली, 27 नवंबर केन्द्र द्वारा संचालित तीन अस्पतालों - आरएमएल, सफदरजंग और लेडी हार्डिंग - के रेजिडेंट डॉक्टरों ने नीट-पीजी 2021 की काउंसलिंग आयोजित करने में बार-बार हो रही देरी के विरोध में बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) की सेवाएं शनिवार को रोक दीं, जिससे मरीजों को काफी परेशानी हुई।

यह कदम फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोरडा) द्वारा 27 नवंबर से अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं रोकने के लिए किए गए राष्ट्रव्यापी आह्वान के बाद उठाया गया है।

ओपीडी सेवाएं निलंबित रहने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने अस्पताल प्रशासन को लिखे पत्र में कहा, “कोविड-19 महामारी के कारण, नीट पीजी 2021 में विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश अनिश्चित काल के लिए विलंबित हो गया है। रेजिडेंट डॉक्टर पिछले डेढ़ वर्षों में कोविड और गैर-कोविड दोनों सेवाओं को अथक रूप से आगे बढ़ा रहे हैं और शारीरिक और मानसिक रूप से थक गए हैं।”

इसमें कहा गया, “वे पहले से ही विलंबित नीट पीजी 2021 काउंसलिंग के मामले में उच्चतम न्यायालय में चल रही सुनवाई का सकारात्मक परिणाम आने को लेकर अब तक धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा कर रहे थे। हालांकि, उन्हें शारीरिक और मानसिक परेशानी से कोई राहत नहीं मिली है और अदालत की अगली सुनवाई 6 जनवरी, 2022 को निर्धारित की गई है।”

पत्र में कहा गया, “इस बार-बार की देरी और काउंसलिंग टलने के खिलाफ विरोध दर्ज करने के लिए हम एबीवीआईएमएस और डॉ. आरएमएल अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने रविवार की ओपीडी सेवाओं सहित, शनिवार 27 नवंबर से बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) की सेवाएं रोकने का फैसला लिया है।’’

चिकित्सकों के संघों ने सरकार और शीर्ष अदालत से नीट पीजी काउंसलिंग और प्रवेश प्रक्रिया में तेजी लाने और अदालती कार्यवाही को तेज करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की।

अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बड़ी संख्या में छात्र दिल्ली सरकार द्वारा संचालित एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय के समक्ष जमा हुए और अपनी चिंता जाहिर की। इन छात्रों में ज्यादातर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के स्नातकोत्तर के छात्र थे।

डॉक्टर ने बताया कि इससे एलएनजेपी में ओपीडी सेवा प्रभावित नहीं हुई। उन्होंने बताया, ‘‘करीब 70-80 छात्र एमडी कार्यालय के बाहर पोर्टिको में एकत्र हो गए और अपनी चिंता जाहिर की।’’

इस बीच, शनिवार को फोरडा ने ट्वीट किया कि उसके अध्यक्ष ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से भेंट कर समाधान निकालने का प्रयास किया, लेकिन प्रदर्शन अभी जारी है।

उसे ट्वीट किया, ‘‘फोरडा के अध्यक्ष और मनसुख मांडविया के बीच आज बैठक हुई। हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा, सभी राज्यों के आरडीए के साथ आज डिजिटल बैठक के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।’’

फोरडा ने एक बयान जारी करके दावा किया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय से उसे संदेश प्राप्त हुआ है कि ‘‘आरक्षण नीति के लंबित मुद्दे की समीक्षा प्रक्रिया अगले बुधवार तक (चार सप्ताह के स्थान पर) पूरी कर ली जाएगी और मामले को अगले सप्ताह उच्चतम न्यायालय के पास रखा जाएगा।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘लेकिन, हम प्रदर्शन जारी रखेंगे।’’

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) आरडीए ने भी इस मुद्दे पर समर्थन व्यक्त करते हुए भारत सरकार से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने और काउंसलिंग प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया। उसने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि नीट-पीजी 2021 काउंसलिंग में अनिश्चितकाल के लिए देरी हो रही है, इस तथ्य के बावजूद कि प्रवेश परीक्षा के परिणाम घोषित हुए लगभग दो महीने से अधिक का वक्त हो गया है।

आमतौर पर कैलेंडर वर्ष की पहली तिमाही में होने वाली प्रवेश परीक्षा कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप पहले ही कई महीनों तक विलंबित हो गई। एम्स आरडीए ने एक बयान में कहा कि इस अत्यधिक देरी से पूरे भारत के मेडिकल कॉलेजों में श्रम शक्ति की कमी हो गई है।

बयान में कहा गया, “अगर काउंसलिंग टलती रही तो हजारों स्नातकोत्तर सीटें इस साल रिक्त रह जाएंगी। दुनिया के कई देशों में कोविड-19 के मामले बढ़ने के साथ, यह जरूरी है कि हमारा देश वैश्विक महामारी की एक और लहर के लिए तैयार रहे।”

इसमें कहा गया, “रेजिडेंट डॉक्टरों के मौजूदा कार्य बल पर पहले से ही अधिक बोझ है, जिसका स्वास्थ्य सेवाओं के सर्वोत्तम वितरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए रेजिडेंट डॉक्टरों के नए बैच की प्रवेश प्रक्रिया बिना किसी और देरी के पूरी की जानी चाहिए।

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Web Title: Delay in NEET-PG counseling: Resident doctors of centrally run hospitals demonstrated

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