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रक्षा मंत्रालय ने वृहद पनडुब्बी कार्यक्रम के लिए अनुरोध प्रस्ताव जारी किया

By भाषा | Updated: July 20, 2021 19:15 IST

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नयी दिल्ली, 20 जुलाई रक्षा मंत्रालय ने वृहद खरीद परियोजना को मंजूरी मिलने के एक महीने बाद 40,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से नौसेना के लिए छह पारंपरिक पनडुब्बियों के देश में निर्माण के लिए औपचारिक निविदा या अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) को मंगलवार को जारी किया।

रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत यह पहली खरीद होगी। आयात पर निर्भरता घटाने के लिए ये पनडुब्बियां उस रणनीतिक साझेदारी के तहत बनाई जाएंगी जो घरेलू रक्षा उपकरण निर्माताओं को विदेशों की रक्षा निर्माण क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों के साथ साझेदारी में अत्याधुनिक सैन्य मंच बनाने की अनुमति देता है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक लंबी प्रक्रिया के बाद दो भारतीय कंपनियों लार्सन एंड टूब्रो (एल एंड टी) और माझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) को अनुरोध पत्र या निविदा जारी करने को मंजूरी दी गयी। परियोजना के लिए ये दोनों कंपनियां किस विदेशी कंपनी के साथ हाथ मिलाना चाहती हैं यह उनका अपना फैसला होगा। इसके लिए पांच विदेशी कंपनियों दाईवू शिपबिल्डर्स (दक्षिण कोरिया), थायसीनक्रूप मरीन सिस्टम (जर्मनी), वंतिया (स्पेन), नेवल ग्रूप (फ्रांस) और जेएससी आरओई (रूस) शामिल हैं।

रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘ये पांच विदेशी कंपनियां पारंपरिक पनडुब्बी डिजाइन, निर्माण और अन्य सभी संबंधित प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी हैं। विदेशी ओईएम (मूल उपकरण निर्माता) एसपी मॉडल में प्रौद्योगिकी भागीदार होंगे।’’

रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत घरेलू रक्षा निर्माताओं को अत्याधुनिक सैन्य उपकरण तैयार करने के संबंध में अग्रणी विदेशी रक्षा कंपनियों से करार की अनुमति होगी।

रक्षा खरीद परिषद (डीएएसी) ने पिछले महीने ‘प्रोजेक्ट-75 (आई)’ नामक परियोजना के लिए अनुरोध पत्र या निविदा जारी करने को मंजूरी दे दी थी। मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह परियोजना न केवल पनडुब्बी, जहाज निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने में सहायता करेगी, बल्कि पनडुब्बियों से संबंधित कल-पुर्जों, प्रणालियों और उपकरणों के निर्माण के लिए एक औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में योगदान देगी।’’

भारतीय नौसेना ने 2030 में समाप्त होने वाले 30 साल के कार्यक्रम के तहत पानी के भीतर जंगी क्षमता को बढ़ाने के लिए छह परमाणु हमले वाली पनडुब्बियों सहित 24 नई पनडुब्बियों की खरीद की योजना बनायी है। वर्तमान में नौसेना के पास 15 पारंपरिक पनडुब्बियां और दो परमाणु क्षमता से संपन्न पनडुब्बियां हैं।

हिंद महासागर में अपनी सैन्य क्षमता में इजाफा करने के चीन के निरंतर बढ़ते प्रयासों के मद्देनजर नौसेना अपनी सभी क्षमताओं को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। भारत के सामरिक हितों के लिहाज से हिंद महासागर की अहमियत बढ़ गयी है।

वैश्विक विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की नौसेना के पास अभी 50 पनडुब्बी और करीब 350 पोत हैं। अगले आठ से दस वर्ष में उसके पास 500 से अधिक पोत तथा पनडुब्बियां हो सकते हैं। भारतीय नौसेना रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत 57 लड़ाकू विमान, 111 हेलीकॉप्टर (एनयूएच) और 123 बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टर खरीदने की प्रक्रिया में है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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