नयी दिल्ली , 19 अप्रैल: न्यायमूर्ति बी एच लोया की कथित रहस्यमयी परिस्थिति में मौत के मामले में जांच की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर कांग्रेस ने आज सवाल खड़े किये और कहा कि आज का दिन देश के इतिहास में बहुत दुखद है। पार्टी ने मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की।
जांच की मांग वाली याचिकाओं के पीछ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का ‘ अदृश्य हाथ ’ होने के भाजपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए विपक्षी दल के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोपों को दुर्भावनापूर्ण प्रयास कहा जो सत्तारूढ़ पार्टी की हताशा दर्शाता है। सुरजेवाला ने यहां संवाददाताओं से कहा , ‘‘ यह भारत के इतिहास में बहुत दुखद दिन है। जिन संदिग्ध परिस्थितियों में लोया की मौत हुई , वह उन लोगों के लिए गहन चिंता का विषय है जिन्हें न्यायपालिका में भरोसा है। पूरे फैसले की प्रति अभी तक उपलब्ध नहीं हुई है। लेकिन न्यायपालिका पर भरोसा करने वालों के सामने अब भी सवाल हैं। ’’
उन्होंने मामले से जुड़े 10 सवाल उठाये और फैसले की निंदा करते हुए कहा कि जांच के माध्यम से ही आपराधिकता के मुद्दे पर फैसला आ सकता है। सुरजेवाला ने कहा , ‘‘ इस पृष्ठभूमि में उच्चतम न्यायालय के फैसले से झूठी सहानुभूति जुटाने की भाजपा की कोशिशों की कड़े से कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए। ’’
इससे पहले आज दिन में कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि लोया मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं को खारिज करने का उच्चतम न्यायालय का फैसला और भी सवाल खड़े करेगा और जब तक इसका तर्कपूर्ण निष्कर्ष नहीं निकलता , कई सवाल अनुत्तरित रहेंगे।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा , न्यायमूर्ति ए . एम . खानविलकर और न्यायमूर्ति डी . वाई . चन्द्रचूड़ की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि न्यायमूर्ति लोया की मौत की परिस्थितियों पर चार न्यायाधीशों के बयानों पर संदेह करने की कोई वजह नहीं है और रिकार्ड में रखे गये दस्तावेज और उनके अध्ययन से साबित होता है कि मौत प्राकृतिक कारणों से हुई थी।
न्यायाधीश लोया की नागपुर में एक दिसंबर , 2014 को कथित रूप से दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी थी। वह अपने एक सहकर्मी की बेटी के विवाह में गये थे। हालांकि लोया के बेटे ने गत 14 जनवरी को कहा था कि उनके पिता की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई थी।