हम खुद को आत्मनिर्भर करना होगा, जीवन में सात गुण की जरूरत है: शिवानी दीदी
By सतीश कुमार सिंह | Published: November 6, 2020 08:02 PM2020-11-06T20:02:17+5:302020-11-06T20:05:29+5:30
आत्मा को संचालित करने के लिए जीवन में सात गुण (सुख, शांति, प्रेम, आनंद, ज्ञान, शक्ति व पवित्रता) की आवश्यकता होती है, क्योंकि आत्मा इन्हीं सात गुणों से मिलकर बनी है इसलिए आत्मा को सतोगुणी आत्मा कहा जाता है और इन सातों गुणों का मुख्य स्त्रोत है परमात्मा।
मुंबईः कोरोना महामारी से पैदा हुई समस्याओं उबरना लोगों के लिए मुश्किल हो गया है। इस महामारी के चलते उपजी संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में आज हर कोई परेशान है। इस विषय की गंभीरता को देखते हुए और हमारे पाठकों को इस मुश्किल भरे वक्त में मजबूती से खड़े रहने की शक्ति देने की दिशा में लोकमत मीडिया ग्रुप के चेयरमैन विजय दर्डा अध्यात्मिक संस्था प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविधयालय की शिक्षिका राजयोगिनी शिवानी दीदी से खास बातचीत की।
लोकमत मीडिया ग्रुप के चेयरमैन विजय दर्डा के सवाल पर राजयोगिनी शिवानी दीदी ने कहा कि हम खुद पर आत्मनिर्भर रहना होगा। यहां के राजा हम हैं। कोविड से पहसे हम अपने आप को मजबूत बनाना होगा। डर, चिंता हवा में है। इसे दूर करना होगा। सोच और भावना को खत्म करना होगा।
हमें अपने आप की बैटरी को जांच करना होगा। हलचल हो तो मन में अचल करना होगा। संकल्प से सिद्धि बनती है। संकल्प को खुद करना होगा। मन की शक्ति को दूर करना होगा। डर से निडर की ओर जाना होगा। विजय दर्डा ने महात्मा गांधी का जिक्र किया।
सुख और शांति खुद में है। कही जाने से शांति नहीं मिलेगी। मनुष्य को खुद का परिचय करना होगा। शरीर को सुख देती है मन को नहीं। शांति को ढूंढ नहीं सकते है। मैं पवित्र आत्मा हूं। पवित्रता के सात गुण है। संसार को बदलाना है तो संस्कार के साथ काम करना होगा। हम सभी को कुछ करना होगा। शांति, शक्ति से कर सकते हैं।
हमें जीवित रहने के लिए प्रकृति के पांचों तत्वों (जल, वायु, आकाश, अग्नि, पृथ्वी) के कुछ न कुछ अंश की आवश्यकता है, क्योंकि हमारा शरीर इन्हीं पांच तत्वों से मिलकर बना है। उसी प्रकार आत्मा को संचालित करने के लिए जीवन में सात गुण (सुख, शांति, प्रेम, आनंद, ज्ञान, शक्ति व पवित्रता) की आवश्यकता होती है, क्योंकि आत्मा इन्हीं सात गुणों से मिलकर बनी है इसलिए आत्मा को सतोगुणी आत्मा कहा जाता है और इन सातों गुणों का मुख्य स्त्रोत है परमात्मा। ये सातों गुण वैसे तो आत्मा में रहते ही है बस आवश्यकता होती है, इन्हें अनुभव में लाने की। इन सातों में भी मुख्य गुण है ‘‘शांति, अपने अंदर शांति की अनुभूति करने से अन्य छः गुण अपने आप जीवन में आने लगते हैं तथा जीवन जीने में आनंद महसूस होने लगता है।