संक्रमण फैलने के खतरे के चलते डायपर पहनकर और सत्तू पीकर कर रहे कोरोना पीड़ितों की सेवा
By संतोष ठाकुर | Updated: April 10, 2020 07:32 IST2020-04-10T07:32:00+5:302020-04-10T07:32:21+5:30
दिल्ली के एम्स और राममनोहर लोहिया अस्पताल में सुरक्षा कार्य से जुड़ी एजेंसियों के दो अलग-अलग अधिकारियों ने कहा कि कई गार्ड कोरोना वार्ड के बाहर तैनात हैं.

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नई दिल्ली: अस्पताल में डॉक्टर, नर्स और तकनीकी स्टाफ के साथ ही कई ऐसे लोग भी मरीजों की सेवा कर रहे हैं जिनको लेकर फिलहाल जनता कम ही जानती है. ये वे लोग हैं जो यहां पर विभिन्न सेवा देने वाली एजेंसियों के कर्मचारी हैं और दैनिक कार्य में अस्पताल प्रशासन की मदद करते हैं. इनमें सफाई कर्मचारी, सुरक्षा गार्ड शामिल हैं. लंबे समय तक डयूटी करने और एक बार अस्पताल आने के बाद बार-बार बाहर जाने पर संक्रमण फैलने का खतरा देखते हुए ये कर्मचारी बुजुर्गों वाले डायपर पहन रहे हैं. लंबी अवधि के दौरान भूख न सताए इसके लिए सत्तू का शरबत पीकर या फिर लिट्टी खाकर यह ड्यूटी पर लगातार मुस्तैद बने हुए हैं.
दिल्ली के एम्स और राममनोहर लोहिया अस्पताल में सुरक्षा कार्य से जुड़ी एजेंसियों के दो अलग-अलग अधिकारियों ने कहा कि कई गार्ड कोरोना वार्ड के बाहर तैनात हैं. इनको कई बार वार्ड के अंदर भी जाना होता है. ऐसे में सैनिटाइजर का ये लोग लगातार प्रयोग कर रहे हैं और मास्क लगा रहे हैं. लेकिन कई गार्ड के पास एन-95 मास्क नहीं है. जबकि इनको भी उतना ही खतरा है. अस्पताल प्रशासन को इन्हें तुरंत ये मास्क देने चाहिए.
एक निजी सुरक्षा एजेंसी के अधिकारी ने कहा कि हमारे गार्ड का समर्पण भी कम नहीं है. उन्हें लगातार शौचालय न जाना पड़े या कठिन समय में उन्हें अपना डयूटी स्थल छोड़कर जाने की समस्या नहीं हो इसके लिए कई गार्ड बुजुर्गों के उपयोग में लाए जाने वाले डायपर पहन रहे हैं. अस्पताल में सफाई कार्य के लिए तैनात एक निजी एजेंसी के कर्मचारी ने कहा कि हमें अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि सफाई लगातार करनी है. बार-बार बाहर नहीं जाना है. ऐसे में अपनी और दूसरों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है. ऐसे में लंबी डयूटी के दौरान भूख मिटाने के लिए हम अधिकतर साथ लाया पानी या फिर सत्तू का घोल या लिट्टी खाते हैं.
बीमा की मांग, स्वास्थ्य मंत्रालय ने झाड़ा पल्ला
कर्मचारी ने कहा कि हम सरकार से ज्यादा कुछ नहीं मांग रहे हैं लेकिन हमारा अनुरोध है कि हमें भी बीमा कवर दिया जाए. हमारी एजेंसी अलग से कोई बीमा नहीं दे रही है. जब डॉक्टर, नर्स, तकनीशियनों और पुलिस के लिए 50 लाख रुपए और एक करोड़ रुपए का बीमा है तो फिर हमारे लिए 5 लाख रुपए तक का बीमा तो किया जा सकता है. एलपीजी डिलीवरी मैन तक को सरकार 5 लाख रुपए का बीमा दे रही है. इस बारे में बात करने पर स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि यह जिम्मेदारी सुरक्षा एजेंसी या अन्य सेवा देने वाली एजेंसी की है कि वे अपने कर्मियों को उचित बीमा दे. कोरोना को मौजूदा बीमा में शामिल किया जा सकता है. उन्हें अपनी बीमा कंपनी से बात करनी चाहिए. ऐसा नहीं होने पर संबंधित राज्य सरकार को इनके बारे में सोचना चाहिए.