अदालतों को ‘बिना सोचे समझे’ अपराधियों को जमानत पर रिहा नहीं करना चाहिए : उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Published: April 25, 2021 01:03 PM2021-04-25T13:03:35+5:302021-04-25T13:03:35+5:30

Courts should not release 'randomly' offenders on bail: Supreme Court | अदालतों को ‘बिना सोचे समझे’ अपराधियों को जमानत पर रिहा नहीं करना चाहिए : उच्चतम न्यायालय

अदालतों को ‘बिना सोचे समझे’ अपराधियों को जमानत पर रिहा नहीं करना चाहिए : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 25 अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अदालतों को लंबा आपराधिक रिकॉर्ड रखने वाले लोगों को ‘‘बिना सोचे समझे’’ जमानत पर रिहा नहीं करना चाहिए और उनकी रिहाई का गवाहों तथा पीड़ित परिवार के निर्दोष सदस्यों पर पड़ने वाले असर पर विचार करना चाहिए।

प्रधान न्यायाधीश (अब सेवानिवृत्त) एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक आरोपी को जमानत देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि आजादी महत्वपूर्ण है चाहे किसी व्यक्ति पर अपराध करने का आरोप लगा हो लेकिन अदालतों के लिए ऐसे आरोपी को जमानत पर रिहा करते वक्त पीड़ितों/गवाहों के जीवन और आजादी पर संभावित खतरे को पहचानना भी महत्वपूर्ण है।

पीठ ने कहा, ‘‘यह कहने की जरूरत नहीं है कि इस तरह के मामलों में यह महत्वपूर्ण है कि अदालतों को बिना सोचे समझे किसी आरोपी को जमानत पर नहीं छोड़ना चाहिए। यह आवश्यक है कि अदालतें ऐसे व्यक्ति को जमानत पर रिहा करते वक्त गवाहों और पीड़ित परिवार के निर्दोष सदस्यों पर पड़ने वाले असर पर विचार करें जो अगले पीड़ित हो सकते हैं।’’

पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम भी थे।

पूर्व के आदेशों का जिक्र करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जब यह माना जाता है कि अपराधी का पूर्व में भी अपराध का रिकॉर्ड रहा है तो उच्च न्यायालयों के लिए हर पहलू की जांच करना आवश्यक हो जाता है और केवल समानता के आधार पर आरोपी को जमानत नहीं दी जानी चाहिए।

उच्चतम न्यायालय सुधा सिंह की अपील पर सुनवाई कर रहा था। ऐसा आरोप है कि आरोपी अरुण यादव ने अन्य लोगों के साथ मिलकर सिंह के पति राज नारायण सिंह की हत्या की।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस समिति (यूपीसीसी) के सहकारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सिंह की 2015 में आजमगढ़ में बेलैसा के पास उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब वह सैर के लिए निकले थे।

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