सजायाफ्ता कैदियों के संतानोत्पत्ति के अधिकार का परीक्षण करेगी अदालत

By भाषा | Published: August 5, 2021 08:27 PM2021-08-05T20:27:26+5:302021-08-05T20:27:26+5:30

Court will examine the right of progeny of convicted prisoners | सजायाफ्ता कैदियों के संतानोत्पत्ति के अधिकार का परीक्षण करेगी अदालत

सजायाफ्ता कैदियों के संतानोत्पत्ति के अधिकार का परीक्षण करेगी अदालत

नैनीताल, पांच अगस्त सजायाफ्ता कैदियों को संतानोत्पत्ति का अधिकार है या नहीं इस सवाल पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय गहन विचार करेगा।

मुख्य न्यायाधीश आर. एस. चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने बुधवार को पॉक्सो कानून के तहत 20 साल की सजा काट रहे एक कैदी द्वारा परिवार शुरू करने के लिए जमानत का अनुरोध करने पर सुनवाई के दौरान उक्त बात कही।

अदालत कैदी की जमानत अर्जी उसके अपराध की गंभीरता को देखते हुए पहले दो बार बार खारिज कर चुका है।

जमानत अर्जी में कहा गया है कि सात साल पहले जेल भेज जाने के समय उसकी शादी को केवल तीन महीने हुए थे, ऐसे में उसे परिवार शुरू करने का मौका नहीं मिला।

हालांकि, इसपर अदालत ने कहा कि ऐसे कई मामले हैं जिनका सभी पहलुओं से परीक्षण करने की जरुरत है।

अदालत ने कहा कि जहां एक ओर पैदा होने वाले बच्चे का भविष्य बिना पिता के मुश्किल होगा वहीं किसी अभियुक्त को गरिमा के अधिकार से वंचित करना भी कानून के लिहाज से सही नहीं होगा। अदालत ने यह भी महसूस किया कि ऐसे मामलों में पत्नी के अधिकारों पर भी विचार करना होगा।

मामले के सभी विधिक और सामाजिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अदालत ने अर्जी को आगे सुनवाई और समग्र रूप से परीक्षण के लिए सुरक्षित रख लिया।

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Web Title: Court will examine the right of progeny of convicted prisoners

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